"न्यूटन का शीतलन का नियम": अवतरणों में अंतर

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दूसरे शब्दों में, यह नियम कहता है कि, 'ऊष्मा अन्तरण गुणांक' (heat transfer coefficient) का मान नियत रहता है। वास्तव में यह नियम [[ऊष्मा चालन]] में तो बहुत सीमा तक सत्य है किन्तु [[संवहन]] द्वारा ऊष्मा के स्थानान्तरण की दशा में यह नियम अंशतः ही सत्य है (पूर्णतः नहीं)। संवहन के द्वारा ऊष्मा अन्तरण में ऊष्मा अन्तरण गुणांक पूर्णतः नियत नहीं होता बल्कि कुछ सीमा तक तापान्तर पर भी निर्भर करता है। और अन्ततः, [[विकिरण]] के द्वारा ऊष्मा स्थानान्तरण के केस में तो यह नियम और भी गलत है क्योंकि वहाँ ऊष्मा अन्तरण की दर वस्तु के ताप के चतुर्थ घात के समानुपाती होती है।
 
न्यूटन का शीतलन नियम न्यूटन का शीतलन नियम ( Newton's law of cooling ) : इस नियम के अनुसार किसी वस्तु में विकिरण द्वारा ऊष्मा क्षय होने की दर उस वस्तु और वातावरण के तापमान के अन्तर का समानुपाती होता है । अर्थात् वस्तु की ऊष्मा हानि की दर तापान्तर के समानुपाती होता है | अतः एक गर्म वस्तु द्वारा 90 ° C से 80 ° C तक ठंढा होने में लगा समय उसके 40 ° C से 30 ° C तक ठंढा होने में लगे समय से कम होगा । नोट : विकिरण द्वारा किसी वस्तु से क्षय होने वाली ऊष्मा की दर वस्तु और उसके आस - पास के वातावरण के तापान्तर के साथ - साथ वस्तु के पृष्ठ की प्रकृति और पृष्ठ क्षेत्रफल पर निर्भर करता है |
संशोधक ..जीतेन्द्र सर (एकता टेक्निकल कोचिंग शाहगंज ( उ प्र )
 
[[श्रेणी:भौतिकी]]