"शिव ब्रत लाल": अवतरणों में अंतर

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मैं दाता दयाल की वंशज हूं। लिखित प्रमाण है।
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परिवार:चुनमुन देवी दाता दयाल की पुत्री है।
 
चुनमुन देवी का विवाह मुंशी गौरी लाल अख्तर (हिंदी और उर्दू साहित्य के प्रख्यात विद्वानों में से थे। आपकी हिंदी एवं उर्दू भाषा में लगभग। 100 पुस्तकें हैं। वह फिल्म जगत में भी नामी डायरेक्टर रहे हैं। आपने 30 से 40 फिल्मों में गीत एवं संवादों की रचना की। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्में जैसे 'शाही लकड़हारा', 'भारत की बेटी', आदि प्रमुख है। आप इसको गूगल पर भी देख सकते हैं। उनका एक प्रसिद्ध भजन है ' तेरे पूजन को भगवान! बना मन मंदिर आलीशान', आज भी गृहस्थौ का मनपसंद भजन है। इस भजन को विभिन्न गायकों ने अपनी आवाज दी है। ) के साथ हुआ था। उन्होंने 2 बच्चों को जन्म दिया। बड़ा पुत्र राजाराम, छोटी पुत्री कौशल्या  देवी हुई। कौशल्या देवी का विवाह जयपुर निवासी इंजीनियर श्री चिरंजीलाल। से हुआ था, और डॉ राजाराम का विवाह श्री कुंवर बहादुर वर्मा की पुत्र कैलाश कुमारी से हुआ था। डॉ राजाराम की मां की मृत्यु, जब वह चार या पांच वर्ष के थे, तभी हो गई थी। अख्तर साहब की दूसरी शादी दाता दयाल के छोटे भाई की पुत्री प्रेमवती से हुई।
 
अख्तर साहब अपने श्वसुर महर्षि शिवब्रत लाल जी को अपना आदर्श एवं गुरु मानते थे। 
 
   महर्षि जी ने अपने जीवन काल में लगभग 3500 पुस्तकों की रचना की। उनकी अधिकांश पुस्तकें,उर्दू फारसी,और अंग्रेजी में है। इस कारण अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उन पर एक पीठ की स्थापना हुई। महर्षि जी विश्व की तथा भारत की बहुत सी भाषाओं  के ज्ञाता थे। उन्होंने अमेरिका से एल. एल. डी.की उपाधि ली थी। 
डॉ राजाराम,उनके नाना महर्षि दाता दयाल ने उनका चीनी नाम ली हांग चांग दिया। उस समय के पुराने लोग जो आज भी जीवित हैं,उनको इसी नाम से संबोधित करते हैं या फिर जानते हैं।
 
 दाता दयाल की पुस्तकों की भूमिका में उनका उल्लेख इसी नाम से आता है। 
 
डॉ राजाराम  सिंह बहुत जहीन व्यक्ति थे। अपने पिता की तरह ही डॉ राजाराम सिंह भी महषि जी के भक्त थे। राधास्वामी पंथ को मानने वाले थे। उन्होंने महर्षि जी की कई पुस्तकों का अनुवाद और संपादन भी हिंदी में किया। 'दयाल' पत्रिका निकाली जो बाद में कानूनगोयान पीठ को समर्पित कर दिया। वहां महर्षि जी की बहुत सी पुस्तकों को विभिन्न स्रोतों से संग्रहित किया गया है।
 
== राधास्वामी आध्यात्मिक आन्दोलन ==