"भट्टनारायण": अवतरणों में अंतर
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वेणीसंहार की कथावस्तु [[महाभारत]] से ली गई है। महाभारत के द्यूत प्रसंग में पांचाली द्रौपदी का भरीसभा में दु:शासन के द्वारा घोर अपमान हुआ था। दुर्योधन आदि की आज्ञा से दु:शासन उसे केश पकड़कर घसीट लाया था जिसपर उसने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक इस अपमान का बदला नहीं चुकाया जाएगा, मैं अपने इन केशों को नहीं बाँधूगी। बलशाली भीम ने उसकी यह प्रतिज्ञा पूर्ण की और दु:शासन का वध कर रुधिर से रंगे हुए हाथों से द्रोपदी की वेणी गूँथी जिससे उसका हृदय शांत हुआ। भट्ट नाररायण ने इस कथानक को परम रमणीय नाटक के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके निशाचित्रण इतने सजीव हैं कि उनको मनीषिवर्ग ने "निशानारायण" की उपाधि से अलंकृत किया है। नाटकीय सिद्धांतों के निदर्शन का विशेष लक्ष्य होने के कारण ही यद्यपि इसमें गतिशीलता का अभाव माना गया है तथापि इसके पद्यों में रौद्र का जो सरस प्रवाह है वह सहृदय को प्रगतिशील बनाने के लिए पर्याप्त है।
[[श्रेणी:संस्कृत]]
[[श्रेणी:साहित्यकार]]
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