"बद्रीनाथ मन्दिर": अवतरणों में अंतर

जोशीमठ स्थित नृ:सिंह मंदिर में होती है बदरीनाथ जी की शीतकालीन पूजा :
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जोशीमठ स्थित नृ:सिंह मंदिर में होती है बदरीनाथ जी की शीतकालीन पूजा :
कुछ समय से एक कुतर्क को जन्म दे रहे हैं लोग यहां ! तथाकथित लोग अपनी जिद्द से कुबेर जी व उद्धव जी के प्रति आस्था का भाव कम कर रहे हैं । शास्त्रों में वर्णित बातों को ये लोग कैसे नक्कार सकते हैं ?
ध्यान रहे शास्त्रसम्मत बात यही है कि भगवान बदरीनाथ जी की शीतकालीन पूजा जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में होती है । लेकिन राजनीतिक दुर्भावना व बाजारवाद को बढ़ावा देने के बावत कुतर्क दिया जाने लगा है कि अब शीतकालीन स्थल पांडुकेश्वर है । कुल मिलाकर ऐसे कुतर्कों से आस्थावान लोगों की आस्था को ठेस पहुंचेगी ।
 
यह कुतर्क सिर्फ क्षेत्र विशेष के प्रति और उसे विकसित करने के उद्देश्य से भ्रामकता फैलाने से ज्यादा और कुछ नहीं है ।
दुष्प्रचार करने वालों को सोचना होगा कि यह एक भावनात्मक मुद्दा नहीं है, जिसे आप क्षेत्र से जोड़कर बना रहे हैं । यह आस्था का विषय है । नृ:सिंह जी को धर्म ग्रंथो में उल्लेखित किया गया श्री नृ:सिंह बदरीनाथ कहकर ।
 
झांकिये गौर से जोशीमठ स्थित गृभगृह में जहां बदरीधाम के भांति ही देव पंचायत विराजित है ।
 
ये कुछ सालों से कुछ लोगों द्वारा अजीबोगरीब कुतर्कों को जन्म दिया जा रहा है, भ्रमित करने की चेष्टा की जा रही है ।
 
यह सत्य है कि पांडुकेश्वर में उद्धव जी और कुबेर जी की पूजा स्थली है,लेकिन अचानक से 5-6 वर्षों में लोगों को यह स्वीकारने में हिचकिचाहट क्यों होने लगी है, सोचनीय विषय है ? उद्धव जी कैसे भगवान बदरीनाथ हो सकते हैं ?? जरा इसका भी उल्लेख वो लोग करें जो जोशीमठ स्थित प्राचीन श्री नृसिंह बदरीनाथ जी के मंदिर व मान्यताओं को नक्कार रहे हैं !
 
कहाँ और कौन से धार्मिक ग्रंथ में बताया गया है कि पांडुकेश्वर में 6 माह बदरीनाथ जी की पूजा होती है !
 
हद करते हैं ! हर जगह राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति नहीं की जा सकती है । धार्मिक स्थलों को बाजार के रूप में विकसित भी नहीं किया जा सकता है ।
 
अच्छा होता कि दुष्प्रचार करने के लिए संगठित हो रहे क्षेत्र विशेष के लोग भी पंफुकेश्वर में उद्धव जी और कुबेर जी की महिमा का सुंदर वर्णन करते और देश विदेश में उनके धार्मिक महत्व का पदार्पण कर आस्थावान लोगों की आस्था को और बलवान बनाते ।
 
ये बे-वजह के कुतर्कों को सामने रखकर आस्था के केंद्रों को भ्रमित करना किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है ।
 
जोशीमठ के आशीष डिमरी Ashish Dimri व पत्रकार पूरण भिलंगवाल Puran Billangwal विरोधियों को जवाब देते हुए कहते हैं कि, यदि किसी के पास कोई पुख्ता सबूत हैं तो बिना देरी किए माननीय न्यायालय की शरण में जाकर दूध का दूध और पानी का पानी अलग करें ।
जिस किसी को भी धार्मिक मान्यताओं को नकारना है तो वह शास्त्रसम्मत बात करें कृपया भ्रमित न करें ।
बदरी-केदार केवल उत्तराखंड में जोशीमठ या ऊखीमठ आदि के स्थानीय लोगों के ही आस्था के केंद्र मात्र नहीं हैं । यह विश्वभर के हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थल हैं ।
 
दुष्प्रचार करने वालों को सौभाग्य मानना चाहिए कि ईश्वर ने अपनी तप के लिए इन क्षेत्रों को चुना है, जिसकी बदौलत से ही आज स्थानीय लोगों की सामाजिक व आर्थिक स्थित मजबूत हुई है, और पहचान भी बनी है ।
शशि भूषण मैठाणी पारस - Shashi Bhushan Maithani Paras 9756838527
 
 
 
 
बद्रीनाथ में जो प्रतिमा जी है़ वह विष्णु के एक रूप "बद्रीनारायण" की है।
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