"सूर्य देवता": अवतरणों में अंतर

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==ज्योतिष शास्त्र में सूर्य==
भारतीय [[ज्योतिष]] में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है.सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र [[कृतिका]] [[उत्तराषाढा]] और [[उत्तराफ़ाल्गुनी]] हैं.यह भचक्र की पांचवीं राशि [[सिंह]] का स्वामी है.सूर्य पिता का प्रतिधिनित्व करता है,लकडी मिर्च घास हिरन शेर ऊन स्वर्ण आभूषण तांबा आदि का भी कारक है.मन्दिर सुन्दर [[महल]] [[जंगल]] किला एवं नदी का किनारा इसका निवास स्थान है.शरीर में पेट आंख ह्रदय चेहरा का प्रतिधिनित्व करता है.और इस ग्रह से आंख सिर रक्तचाप [[गंजापन]] एवं बुखार संबन्धी बीमारी होती हैं.सूर्य की जाति [[क्षत्रिय]] है.शरीर की बनाव सूर्य के अनुसार मानी जाती है.हड्डियों का ढांचा सूर्य के क्षेत्र में आता है.सूर्य का [[अयन]] ६ माह का होता है.६ माह यह [[दक्षिणायन]] यानी भूमध्य रेखा के दक्षिण में मकर वृत पर रहता है,और ६ माह यह भूमध्य रेखा के उत्तर में [[कर्क]] वृत पर रहता है.इसका रंग केशरिया माना जाता है.धातु तांबा और [[रत्न]] [[माणिक]] उपरत्न लाडली है.यह पुरुष ग्रह है.इससे आयु की गणना ५० साल मानी जाती है.सूर्य अष्टम मृत्यु स्थान से सम्बन्धित होने पर मौत आग से मानी जाती है.सूर्य सप्तम द्रिष्टि से देखता है.सूर्य की दिशा पूर्व है.सबसे अधिक बली होने पर यह राजा का कारक माना जाता है.सूर्य के मित्र [[चन्द्र]] [[मंगल]] और [[गुरु]] हैं.शत्रु [[शनि]] और [[शुक्र]] हैं.समान देखने वाला ग्रह [[बुध]] है.सूर्य की [[विंशोत्तरी]] दशा ६ साल की होती है.सूर्य गेंहू घी पत्थर दवा और माणिक्य पदार्थो पर अपना असर डालता है.पित्त रोग का कारण सूर्य ही है.और वनस्पति जगत में लम्बे पेड का कारक सूर्य है.मेष के १० अंश पर उच्च और तुला के १० अंश पर नीच माना जाता है.सूर्य का भचक्र के अनुसार मूल त्रिकोण [[सिंह]] पर ० अंश से लेकर १० अंश तक शक्तिशाली फ़लदायी होता है.सूर्य के देवता भगवान [[शिव]] हैं.सूर्य का मौसम गर्मी की ऋतु है.सूर्य के नक्षत्र [[कृतिका]] का फ़ारसी नाम सुरैया है.और इस नक्षत्र से शुरु होने वाले नाम ’अ’ ई उ ए अक्षरों से चालू होते हैं.इस नक्षत्र के तारों की संख्या अनेक है.इसका एक दिन में भोगने का समय एक घंटा है.
 
==सूर्य देव का व्रत==