"सूर्य देवता": अवतरणों में अंतर

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==सूर्य का अन्य ग्रहों से आपसी सम्बन्ध==
*[[चन्द्र]] के साथ इसकी मित्रता है.[[अमावस्या]] के दिन यह अपने आगोश में लेलेता है.
*[[मंगल]] भी सूर्य का मित्र है.
*[[बुध]] भी सूर्य का मित्र है तथा हमेशा सूर्य के आसपास घूमा करता है.
*[[गुरु]] यह सूर्य का परम मित्र है,दोनो के संयोग से [[जीवात्मा]] का संयोग माना जाता है.[[गुरु]] जीव है तो सूर्य आत्मा.
*[[शनि]] सूर्य का पुत्र है लेकिन दोनो की आपसी दुश्मनी है,जहां से सूर्य की सीमा समाप्त होती है,वहीं से शनि की सीमा चालू हो जाती है."छाया मर्तण्ड सम्भूतं" के अनुसार सूर्य की पत्नी [[छाया]] से [[शनि]] की उतपत्ति मानी जाती है.सूर्य और [[शनि]] के मिलन से जातक कार्यहीन हो जाता है,सूर्य [[आत्मा]] है तो [[शनि]] कार्य [[आत्मा]] कोई काम नही करती है.इस [[युति]] से ही [[कर्म]] हीन विरोध देखने को मिलता है.
*[[शुक्र]] [[रज]] है सूर्य गर्मी स्त्री [[जातक]] और पुरुष [[जातक]] के आमने सामने होने पर [[रज]] जल जाता है.सूर्य का शत्रु है.
*[[राहु]] सूर्य और [[चन्द्र]] दोनो का दुश्मन है.एक साथ होने पर [[जातक]] के पिता को विभिन्न समस्याओं से ग्रसित कर देता है.
*[[केतु]] यह सूर्य से सम है.
===सूर्य का अन्य ग्रहों के साथ होने पर ज्योतिष से किया जाने वाला फ़ल कथन===
*सूर्य और [[चन्द्र]] दोनो के एक साथ होने पर सूर्य को पिता और [[चन्द्र]] को यात्रा मानने पर पिता की यात्रा के प्रति कहा जा सकता है.सूर्य [[राज्य]] है तो [[चन्द्र]] यात्रा राजकीय यात्रा भी कही जा सकती है.एक संतान की उन्नति जन्म स्थान से बाहर होती है.
*सूर्य और [[मंगल]] के साथ होने पर [[मंगल]] [[शक्ति]] है अभिमान है,इस प्रकार से पिता शक्तिशाली और प्रभावी होता है.[[मंगल]] भाई है तो वह सहयोग करेगा,[[मंगल]] [[रक्त]] है तो पिता और पुत्र दोनो में रक्त सम्बन्धी बीमारी होती है,ह्रदय रोग भी हो सकता है.दोनो ग्रह १-१२ या १७ में हो तो यह जरूरी हो जाता है.स्त्री चक्र में पति प्रभावी होता है,गुस्सा अधिक होता है,परन्तु आपस में [[प्रेम]] भी अधिक होता है,[[मंगल]] पति का कारक बन जाता है.
*सूर्य और [[बुध]] में [[बुध]] ज्ञानी है,बली होने पर [[राजदूत]] जैसे पद मिलते है,पिता पुत्र दोनो ही ज्ञानी होते हैं.[[समाज]] में [[प्रतिष्ठा]] मिलती है.जातक के अन्दर [[वासना]] का [[भंडार]] होता है,दोनो मिलकर नकली [[मंगल]] का रूप भी धारण करलेता है.पिता के बहन हो और पिता के पास भूमि भी हो,पिता का सम्बन्ध किसी महिला से भी हो.
*सूर्य और [[गुरु]] के साथ होने पर सूर्य [[आत्मा]] है,[[गुरु]] जीव है.इस प्रकार से यह संयोग एक [[जीवात्मा]] संयोग का रूप ले लेता है.[[जातक]] का जन्म ईश्वर अंश से हो,मतलब [[परिवार]] के किसी [[पूर्वज]] ने आकर जन्म लिया हो,[[जातक]] में दूसरों की सहायता करने का हमेशा [[मानस]] बना रहे,और [[जातक]] का [[यश]] चारो तरफ़ फ़ैलता रहे,सरकारी क्षेत्रों में जातक को पदवी भी मिले.[[जातक]] का पुत्र भी उपरोक्त कार्यों में संलग्न रहे,पिता के पास [[मंत्री]] जैसे काम हों,स्त्री चक्र में उसको सभी प्रकार के सुख मिलते रहें,वह आभूषणों आदि से कभी दुखी न रहे,उसे अपने घर और [[ससुराल]] में सभी प्रकार के मान सम्मान मिलते रहें.
*सूर्य और [[शुक्र]] के साथ होने पर सूर्य पिता है और [[शुक्र]] भवन,वित्त है,अत: पिता के पास वित्त और भवन के साथ सभी प्रकार के भौतिक सुख हों,पुत्र के बारे में भी यह कह सकते हैं.[[शुक्र]] [[रज]] है और सूर्य गर्मी अत: पत्नी को [[गर्भपात]] होते रहें,संतान कम हों,१२ वें या दूसरे भाव में होने पर आंखों की बीमारी हो,एक आंख का भी हो सकता है.६ या ८ में होने पर जीवन साथी के साथ भी यह हो सकता है.स्त्री चक्र में पत्नी के एक बहिन हो जो जातिका से बडी हो,जातक को राज्य से धन मिलता रहे,सूर्य जातक [[शुक्र]] पत्नी की सुन्दरता बहुत हो.[[शुक्र]] [[वीर्य]] है और सूर्य गर्मी जातक के संतान पैदा नही हो.स्त्री की कुन्डली में जातिका को मूत्र सम्बन्धी बीमारी देता है.अस्त [[शुक्र]] स्वास्थ्य खराब करता है.
*सूर्य और [[शनि]] के साथ होने पर [[शनि]] [[कर्म]] है और सूर्य राज्य,अत: जातक के पिता का कार्य सरकारी हो,सूर्य पिता और [[शनि]] [[जातक]] के जन्म के समय काफ़ी परेशानी हुई हो.पिता के सामने रहने तक पुत्र आलसी हो,पिता और पुत्र के साथ रहने पर उन्नति नही हो.वैदिक [[ज्योतिष]] में इसे [[पितृ दोष]] माना जाता है.अत: जातक को रोजाना [[गायत्री]] का जाप २४ या १०८ बार करना चाहिये.
*सूर्य और [[राहु]] के एक साथ होने पर सूचना मिलती है कि जातक के [[पितामह]] प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिये,एक पुत्र सूर्य अनैतिक [[राहु]] हो,कानून विरुद्ध जातक कार्य करता हो,पिता की मौत [[दुर्घटना]] में हो,जातक के जन्म के समय में पिता को चोट लगे,[[जातक]] को संतान कठिनाई से हो,पिता के किसी भाई को अनिष्ठ हो.शादी में अनबन हो.
*सूर्य और [[केतु]] साथ होने पर पिता और पुत्र दोनों धार्मिक हों,कार्यों में कठिनाई हो,पिता के पास भूमि हो लेकिन किसी काम की नही हो.
===सूर्य के साथ अन्य ग्रहों के अटल नियम जो कभी असफ़ल नही हुये===
*सूर्य [[मंगल]] [[गुरु]]=[[सर्जन]]
*सूर्य [[मंगल]] [[राहु]]=[[कुष्ठ रोग]]
*सूर्य [[मंगल]] [[शनि]] [[केतु]]=पिता अन्धे हों
*सूर्य के आगे [[शुक्र]] = [[धन]] हों.
*सूर्य के आगे [[बुध]] = [[जमीन]] हो.
*सूर्य [[केतु]] =पिता राजकीय सेवा में हों,[[साधु]] स्वभाव हो,[[अध्यापक]] का कार्य भी हो सकता है.
*सूर्य [[बृहस्पति]] के आगे = जातक पिता वाले कार्य करे.
*सूर्य [[शनि]] [[शुक्र]] [[बुध]] =[[पेट्रोल]],[[डीजल]] वाले काम.
*सूर्य [[राहु]] [[गुरु]] =[[मस्जिद]] या [[चर्च]] का अधिकारी.
*सूर्य के आगे [[मंगल]] [[राहु]] हों तो [[पैतृक सम्पत्ति]] समाप्त.
===बारह भावों में सूर्य की स्थिति===
*प्रथम भाव में सूर्य -[[स्वाभिमानी]] [[शूरवीर]] [[पर्यटन]] प्रिय [[क्रोधी]] [[परिवार]] से व्यथित धन में कमी [[वायु]] [[पित्त]] आदि से [[शरीर]] में कमजोरी.
*दूसरे भाव में सूर्य - [[भाग्यशाली]], [[पूर्ण सुख]] की प्राप्ति, [[धन]] अस्थिर लेकिन उत्तम कार्यों के अन्दर [[व्यय]], स्त्री के कारण [[परिवार]] में [[कलह]], [[मुख]] और [[नेत्र रोग]], पत्नी को [[ह्रदय रोग]]. शादी के बाद जीवन साथी के पिता को हानि.
*तीसरे भाव में सूर्य - [[प्रतापी]], [[पराक्रमी]], [[विद्वान]], [[विचारवान]], [[कवि]], [[राज्यसुख]], मुकद्दमे में विजय, भाइयों के अन्दर [[राजनीति]] होने से परेशानी.
*चौथे भाव में सूर्य - [[ह्रदय]] में जलन, शरीर से सुन्दर, [[गुप्त विद्या]] प्रेमी, विदेश गमन, राजकीय [[चुनाव]] आदि में विजय, [[युद्ध]] वाले कारण, मुकद्दमे आदि में पराजित,व्यथित मन.
*पंचम भाव में सूर्य - [[कुशाग्र बुद्धि]],धीरे धीरे धन की प्राप्ति,पेट की बीमारियां,राजकीय शिक्षण संस्थानो से लगाव,[[मोतीझारा]],[[मलेरिया]] बुखार.
*छठवें भाव में सूर्य - [[निरोगी]] [[न्यायवान]], [[शत्रु नाशक]], [[मातृकुल]] से कष्ट.
*सप्तम भाव में सूर्य - [[कठोर]] [[आत्म रत]], [[राज्य वर्ग]] से पीडित,[[व्यापार]] में [[हानि]], [[स्त्री कष्ट]].
*आठवें भाव में सूर्य - [[धनी]], [[धैर्यवान]], काम करने के अन्दर [[गुस्सा]], [[चिन्ता]] से [[ह्रदय रोग]], [[आलस्य]] से [[धन]] नाश, नशे आदि से स्वास्थ्य खराब.
*नवें भाव में सूर्य - [[योगी]], [[तपस्वी]], [[ज्योतिषी]],[[साधक]],[[सुखी]],लेकिन स्वभाव से [[क्रूर]].
*दसवें भाव में सूर्य - [[व्यवहार कुशल]], राज्य से सम्मान, [[उदार]], [[ऐश्वर्य]], माता को [[नकारात्मक]] विचारों से कष्ट, अपने ही लोगों से बिछोह.
*ग्यारहवें भाव में सूर्य - धनी सुखी [[बलबान]] [[स्वाभिमानी]] [[सदाचारी]] [[शत्रुनाशक]], अनायास सम्पत्ति की प्राप्ति, पुत्र की पत्नी या पुतीपुत्री के पति ([[दामाद]]) से कष्ट.
*बारहवें भाव में सूर्य - [[उदासीन]], [[आलसी]], [[नेत्र रोगी]], [[मस्तिष्क रोगी]], लडाई झगडे में [[विजय]],[[बहस]] करने की आदत.
 
==हस्त रेखा में सूर्य==