"सूर्य देवता": अवतरणों में अंतर

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==हस्त रेखा में सूर्य==
जीवन में पडने वाले प्रभाव को हथेली में [[अनामिका]] उंगली की जड में सूर्य पर्वत और और उस पर बनी रेखाओं को देख कर सूर्य की स्थिति का पता लगाया जा सकता है.सूर्य [[पर्वत]] पर बनी रेखायें ही [[सूर्य रेखा]] या सूर्य रेखायें कहलाती है.[[अनामिका]] उंगली के [[तर्जनी]] से लम्बी होने की स्थिति में ही व्यक्ति के राजकीय जीवन का फ़ल कथन किया जाता है.उन्नत पर्वत होने पर और पर्वत के मध्य सूक्ष्म गोल [[बिन्दु]] होने पर पर्वत के गुलाबी रंग का होने पर प्रतिष्ठ्त [[पद]] का कथन किया जाता है.इसी [[पर्वत]] के नीचे [[विवाह]] रेखा के उदय होने पर [[विवाह]] में [[राजनीति]] के चलते [[विवाह]] टूटने और [[अनैतिक]] सम्बन्धों की जानकारी मिलती है.
 
==अंकशास्त्र में सूर्य==
ज्योतिष विद्याओं में अंक विद्या भी एक महत्वपूर्ण विद्या है.जिसके द्वारा हम थोडे समय में ही प्रश्न कर्ता के उत्तर दे सकते है.अंक विद्या में "१" का अंक सूर्य को प्राप्त हुआ है.जिस तारीख को आपका जन्म हुआ है,उन तारीखों में अगर आपकी जन्म तारीख १,१०,१९,२८, है तो आपका भाग्यांक सूर्य का नम्बर "१" ही माना जायेगा.इसके अलावा जो आपका कार्मिक नम्बर होगा वह जन्म तारीख,महिना,और पूरा सन जोडने के बाद जो प्राप्त होगा,साथ ही कुल मिलाकर अकेले नम्बर को जब सामने लायेंगे,और वह नम्बर एक आता है तो कार्मिक नम्बर ही माना जायेगा.जिन लोगों के जन्म तारीख के हिसाब से "१" नम्बर ही आता है उनके नाम अधिकतर ब,म,ट,और द से ही चालू होते देखे गये है.अम्क १ शुरुआती नम्बर है,इसके बिना कोई भी अंक चालू नही हो सकता है.इस अंक वाला जातक स्वाभिमानी होता है,उसके अन्दर केवल अपने ही अपने लिये सुनने की आदत होती है.जातक के अन्दर ईमानदारी भी होती है,और वह किसी के सामने झुकने के लिये कभी राजी नही होता है.वह किसी के अधीन नही रहना चाहता है और सभी को अपने अधीन रखना चाहता है.अगर अंक १ वाला जातक अपने ही अंक के अधीन होकर यानी अपने ही अंक की तारीखों में काम करता है तो उसको सफ़लता मिलती चली जाती है.सूर्य प्रधान जातक बहुत तेजस्वी सदगुणी विद्वान उदार स्वभाव दयालु,और मनोबल में आत्मबल से पूर्ण होता है.वह अपने कार्य स्वत: ही करता है किसी के भरोसे रह कर काम करना उसे नही आता है.वह सरकारी नौकरी और सरकारी कामकाज के प्रति समर्पित होता है.वह अपने को अल्प समय में ही कुशल प्रसाशक बनालेता है.सूर्य प्रधान जातक मे कुच बुराइयां भी होतीं हैं.जैसे अभिमान,लोभ,अविनय,आलस्य,बाह्य दिखावा,जल्दबाजी,अहंकार,आदि दुर्गुण उसके जीवन में भरे होते हैं.इन दुर्गुणों के कारण उसका विकाश सही तरीके से नही हो पाता है.साथ ही अपने दुश्मनो को नही पहिचान पाने के कारण उनसे परेशानी ही उठाता रहता है.हर काम में दखल देने की आदत भी जातक में होती है.और सब लोगों के काम के अन्दर टांग अडाने के कारण वह अधिक से अधिक दुश्मनी भी पैदा कर लेता है.