"स्पित्जर पाण्डुलिपि": अवतरणों में अंतर

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'''स्पित्जर पाण्डुलिपि''' (Spitzer Manuscript / अनुमानित पहली-दूसरी शताब्दी ई) [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] की अब तक प्राप्त [[पाण्डुलिपि]]यों में सबसे पुरानी पाण्डुलिपि है। यह १९०६ में [[जर्मनी]] की एक अन्वेषण दल को [[किज़िल]] (मध्य एशिया) में मिली थी जो [[रेशम मार्ग]] पर स्थित है। इस दल के नेता डॉ मोरित्ज स्पित्ज़र थे। यह बहुत ही तितर-बितर और खण्डित रूप में है। यह पाण्डुलिपि वर्तमान में [[बर्लिन]] के राज्य पुस्तकालय में संरक्षित है।
 
यह ग्रन्थ अपने आप में इस दृष्टि से अनन्य है कि इस ग्रन्थ से मिलता-जुलता कोई अन्य ग्रन्थ अभी तक नहीं मिला है तथा यह ग्रन्थ [[चीन]]/[[तिब्बत]]/[[जापान]] में भी [[अनुवाद]] के रूप में नहीं पहुँचा है, जैसा कि अन्य प्राचीन [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] ग्रन्थ पहुंचे थे।