→अष्टछाप कवि
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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:''प्रेम के पुंज में रासरस कुंज में, ताही राखत रसरंग भारी ॥
:''श्री यमुने अरु प्राणपति प्राण अरु प्राणसुत, चहुजन जीव पर दया विचारी ।
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* [[नंददास]] (१५३३ ई. - १५८६ ई.)
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