"गोरखनाथ मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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श्री गोरखनाथ मंदिर (श्री गोरक्षनाथ मंदिर), गोरखपुर
मंदिर के भीतरी कक्ष में मुख्य वेदी पर शिवावतार अमरकाय योगी गुरु गोरखनाथ जी महाराज की श्वेत संगमरमर की दिव्य मूर्ति, ध्यानावस्थित रूप में प्रतिष्ठित है, इस मूर्ति का दर्शन मनमोहक व चित्ताकर्षक है। यह सिद्धिमयी दिव्य योगमूर्ति है। श्री गुरु गोरखनाथ जी की चरण पादुकाएं भी यहाँ प्रतिष्ठित हैं, जिनकी प्रतिदिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। परिक्रमा भाग में भगवान शिव की भव्य मांगलिक मूर्ति, विघ्नविनाशक श्री गणेशजी, मंदिर के पश्चिमोत्तर कोने में काली माता, उत्तर दिशा में कालभैरव और उत्तर की ओर पाश्र्व में शीतला माता का मंदिर है। इस मंदिर के समीप ही भैरव जी, इसी से सटा हुआ भगवान शिव का दिव्य शिवलिंग मंदिर है। उत्तरवर्ती भाग में राधा कृष्ण मंदिर, हट्टी माता मंदिर, संतोषी माता मंदिर, श्री राम दरबार, श्री नवग्रह देवता, श्री शनि देवता, भगवती बालदेवी, भगवान विष्णु का मंदिर तथा योगेश्वर गोरखनाथ जी द्वारा जलाई गयी अखंड धूना स्थित है। विशाल हनुमान जी मंदिर, महाबली भीमसेन मंदिर, योगिराज ब्राहृनाथ, गंभीरनाथ और महंत दिग्विजयनाथ जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। जो भक्तों के हृदय में आस्था एवं श्रद्धा का भाव संचारित करती हैं। पवित्र भीम सरोवर, जल-यंत्र, कथा-मण्डपम यज्ञशाला, संत निवास, अतिथिशाला, गोशाला आदि स्थित हैं।
 
; खिचड़ी मेला----
प्रतिदिन मंदिर में&nbsp;भारत&nbsp;के सुदूर प्रांतों से आये पर्यटकों, यात्रियों और स्थानीय व पास- पड़ोस के असंख्य लोगों की भीड़ दर्शन के लिए आती है।&nbsp;मंगलवार&nbsp;को यहां दर्शनार्थियों की संख्या ख़ासी होती है। मंदिर में गोरखबानी की अनेक सबदियां संगमरमर की भित्ति पर अर्थ सहित जगह-जगह अंकित हैं और नवनाथों के चित्रों का अंकन भी मंदिर में भव्य तरीके से किया गया है।&nbsp;मकर संक्रान्ति&nbsp;के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है जो&nbsp;'''खिचड़ी मेला<sup>[https://bastikhabar.online/gorakhpur/gorakhnath-dhams-khichdi-fair-690762 2]</sup>'''&nbsp;के नाम से प्रसिद्ध है।