"दिनचर्या (आयुर्वेद)": अवतरणों में अंतर

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[[अष्टांग हृदय|अष्टाङ्गहृदयम्]] के सूत्रस्थान में '''दिनचर्या''', रात्रिचर्या, [[ऋतुचर्या]], का वर्णन है। दिनचर्यदिनचर्या से तात्पर्य [[आहार]], [[विहार]] और आचरण के नियमों से है।
 
१) प्रातःउत्थान २) मलोत्सर्ग ३) दन्तधावन ४) नस्य ५) गण्डूष (मुँहधावन क्रिया/कुल्ले करना) ६) अभ्यंग (तैल मालिस) ७) व्यायाम ८) स्नान ९) भोजन १०) सद्वृत्त ११) निद्रा (शयन)
 
==ब्र्रह्मब्रह्म मुुहुुर्त मेेंं उठना==
[https://web.archive.org/web/20200622080445/https://www.fitnessayurveda.online/2020/04/blog-post.html सुबह] -
सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए क्योंकि उस समय वातावरण प्रदूषण रहित रहता है। प्राणवायु (आक्सीजन) की मात्रा सर्वाधिक रहती है। सुबह वातावरण के प्रभाव से अप ने शरीर में उपयोगी रसायन स्रवित होते है जिनसे ऊर्जा एवं उत्साह का संचार होता है।
 
[https://web.archive.org/web/20200622080445/https://www.fitnessayurveda.online/2020/04/blog-post.html सूर्योदय] से पूर्व उठना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है ।यदि आप उठ सकते है तो जरूर उठिए ।और उठने के बाद एक ग्लास पानी पीना चाहिए  ।पानी गर्म या ठंडा लिया जाता है ओ आप के शरीर के ऊपर है कि आपकी बॉडी क्या शूट कर रही है ।पानी पीने के बाद अपने नित्य कर्म करे ।और करने के बाद एक फ्रूट खाना चाहिए । क्यों की सुबह हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म गिरा रहता है तो उसे उठाने के लिए।वैसे तो कोई भी फल लिया जा सकता है लेकिन मै आपको केला खाने की सलाह दूंगा क्यों की केला सबसे सरल और आसान है इसमें कोई मेहनत या समय नहीं लगता ।आप फल की जगह पर रात को भीगे चने खा सकते है।  आधे घंटे के बाद आपको योगा ,प्राणायाम ,वर्कआउट जो भी करते है करना चाहिए ।
 
==ब्र्रह्म मुुहुुर्त मेेंं उठना==
सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए क्योंकि उस समय वातावरण प्रदूषण रहित रहता है। प्राणवायु (आक्सीजन) की मात्रा सर्वाधिक रहती है। सुबह वातावरण के प्रभाव से अप ने शरीर में उपयोगी
रसायन स्रवित होते है जिनसे ऊर्जा एवं उत्साह का संचार होता है।
 
==उषःपान==