"विराटनगर, राजस्थान": अवतरणों में अंतर

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[[नेपाल]] के विराटनगर के लिये देखें, '''[[विराटनगर]]'''
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'''विराटनगर''' (Viratnagar) या '''बैराठ''' (Bairat) [[भारत]] के [[राजस्थान]] राज्य के [[जयपुर ज़िले]] में स्थित एक नगर व [[नगरपालिका]] है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=0LU7DwAAQBAJ Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra]," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=9TuZDwAAQBAJ Berlitz Pocket Guide Rajasthan]," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990</ref>
[[File:City of Bairat-Viratnagar.jpg|thumb|विराटनगर]]
'''विराट नगर (बैराठ)''' [[राजस्थान]] [[प्रांत|प्रान्त]] के [[जयपुर]] जिले का एक [[शहर]] है। इसका पुराना नाम बैराठ है , विराट नगर [[राजस्थान]] में उत्तर में स्थित है। यह [[नगरी]] प्राचीन [[मत्स्य राज]] की [[राजधानी]] रही है। चारो और सुरम्य पर्वतों से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है।
 
== विवरण ==
[[विराटनगर (राजस्थान)|विराट नगर]] [[अरावली]] की पहाडियों के मध्य में बसा है। राजस्थान के [[जयपुर]] जिले में शाहपुरा के अलवर-जयपुर रोड के उत्तर-पूर्व की तरफ 25 किलोमीटर दूर विराट नगर कस्बा अपनी पौराणिक ऐतिहासिक विरासत को आज भी समेटे हुए हैं।
विराटनगर (बैराठ) राजस्थान में उत्तर में स्थित है। यह [[नगरी]] प्राचीन [[मत्स्य राज]] की [[राजधानी]] रही है। चारो और सुरम्य पर्वतों से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है। विराटनगर [[अरावली]] की पहाडियों के मध्य में बसा है। राजस्थान के [[जयपुर]] जिले में शाहपुरा के अलवर-जयपुर रोड के उत्तर-पूर्व की तरफ 25 किलोमीटर दूर विराट नगर कस्बा अपनी पौराणिक ऐतिहासिक विरासत को आज भी समेटे हुए हैं।
 
== भूगोल ==
'''विराटनगर''' नाम से प्राय: लोगों को भ्रम हो जाता है। विराटनगर नामक एक क़स्बा नेपाल की सीमा में भी है। किन्तु नेपाल का विराट नगर, महाभारत कालीन विराटनगर नहीं है। महाभारतकालीन गौरव में आराध्यदेव भगवान श्री केशवराय का मंदिर,जिसमे 3 ही कृष्ण एवम् 3 ही विष्णु की प्रतिमाये स्थित है। 64 खम्बे व108 टोड़ी है। ये केशवराय मंदिर विश्व दर्शन के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।इस सम्बन्ध विराटनगर पौराणिक, प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए, राजस्थान के जयपुर और अलवर जिले की सीमा पर स्थित है विराटनगर में पौराणिक शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बोद्ध माथों के भग्नावशेष, अशोक का शिला लेख और मुगलकालीन भवन विद्यमान है। अनेक जलाशय और कुंड इस क्षेत्र की शोभा बढा रहे हैं। प्राकर्तिक शोभा से प्रान्त परिपूर्ण है। विराटनगर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय व्याघ्र अभ्यारण, भर्तृहरी का तपोवन, पाण्डुपोल नाल्देश्वर और सिलिसेढ़ जैसे रमणीय तथा दर्शनीय स्थल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते है। यहाँ के दर्शय दर्शनीय स्थलो में प्रसिद्ध श्रीकेश्वराय मंदिर नगर के मध्य आकर्षक का केंद्र है। जिसमे भगवान केशव एवम् विष्णु के साथ कोई देवी (शक्ति) नहीं है। भगवान केशव का जो रूप महाभारत में था। उसी स्वरूप में भगवन श्रीकृष्ण का मंदिर दर्शनीय है। जो विराटनगर पर्यटन नगरी में सुविख्यात है।
विराटनगर से 90 कि॰मी॰ की दूरी पर [[जयपुर]] और 60 कि॰मी॰ पर [[अलवर]] और 40 कि॰मी॰ पर [[शाहपुरा, भीलवाड़ा|शाहपुरा]] स्थित है।
क्षमा करे मेरी जानकारी के मुताबिक एक "वैराट"
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में स्थित चिखालदरा में भी है।
कहा जाता है अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने द्रौपदी के साथ यहां पर वास किया था ।यहां पर गवली समाज (यादव वंश) के राजा विराट का बैराट नामक राज्य था। जहा उनके साले किचक का वध भीम के हाथो हुआ था।इसीलिए इस स्थान का नाम " किचकदरा" पड़ा था।समय के साथ साथ अपभ्रंश होते हुए इसे "चिखालदारा" कहा जाने लगा ।यह स्थान समुद्रतल से काफी ऊंचाई पर है।
अंग्रजों के शासनकाल में इसका उपयोग हिल स्टेशन की तरह होता था,जो आज भी प्रसिद्ध है।और यहां देखने लायक कई प्वाइंट है जिसमें " भीमकुंड" प्वाइंट भी शामिल है ।कहते है कीचक का वध करने के बाद भीम ने यही पर क़िचक के रक्त से सने हुए हाथ धोए थे।
देखिए चिखलदारा ।
 
== महाभारत से सम्बन्ध ==
== इतिहास ==
विराटनगर नामक एक क़स्बा [[नेपाल]] की सीमा में भी है। किन्तु नेपाल का विराट नगर, महाभारत कालीन विराटनगर नहीं है। महाभारतकालीन गौरव में आराध्यदेव भगवान श्री केशवराय का मंदिर,जिसमे 3 ही कृष्ण एवम् 3 ही विष्णु की प्रतिमाये स्थित है। 64 खम्बे व108 टोड़ी है। ये केशवराय मंदिर विश्व दर्शन के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।इस सम्बन्ध विराटनगर पौराणिक, प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए, राजस्थान के जयपुर और अलवर जिले की सीमा पर स्थित है विराटनगर में पौराणिक शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बोद्ध माथों के भग्नावशेष, अशोक का शिला लेख और मुगलकालीन भवन विद्यमान है। अनेक जलाशय और कुंड इस क्षेत्र की शोभा बढा रहे हैं। प्राकर्तिक शोभा से प्रान्त परिपूर्ण है। विराटनगर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय व्याघ्र अभ्यारण, भर्तृहरी का तपोवन, पाण्डुपोल नाल्देश्वर और सिलिसेढ़ जैसे रमणीय तथा दर्शनीय स्थल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते है। यहाँ के दर्शय दर्शनीय स्थलो में प्रसिद्ध श्रीकेश्वराय मंदिर नगर के मध्य आकर्षक का केंद्र है। जिसमे भगवान केशव एवम् विष्णु के साथ कोई देवी (शक्ति) नहीं है। भगवान केशव का जो रूप महाभारत में था। उसी स्वरूप में भगवन श्रीकृष्ण का मंदिर दर्शनीय है। जो विराटनगर पर्यटन नगरी में सुविख्यात है।
यह वही विराट नगर जहाँ [[महाभारत]] काल में [[पाण्डव|पाण्डवो]] तथा [[द्रौपदी]] ने अपना अज्ञातवास व्यतीत किया था। यहाँ पर पंचखंड पर्वत पर भीम तालाब और इसके ही निकट [[जैन धर्म|जैन]] मंदिर और [[अकबर]] की छतरी है जहाँ अकबर शिकार के समय विश्राम करता था। विराट नगर की स्थापना यादव राजाओं ने की थी । यह हमेशा से ही यादवो द्वारा शासित राज्य रहा है ।
 
मान्यता है कि विराटनगर में [[महाभारत]] काल में [[पाण्डव|पाण्डवो]] तथा [[द्रौपदी]] ने अपना अज्ञातवास व्यतीत किया था। यहाँ पर पंचखंड पर्वत पर भीम तालाब और इसके ही निकट [[जैन धर्म|जैन]] मंदिर और [[अकबर]] की छतरी है जहाँ अकबर शिकार के समय विश्राम करता था। विराट नगर की स्थापना यादव राजाओं ने की थी । यह हमेशा से ही यादवो द्वारा शासित राज्य रहा है ।
 
== दर्शनीय स्थल ==
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=== आराध्यदेव श्रीकेशवराय मंदिर ===
 
महाभारतकालीन गौरव में आराध्यदेव भगवान श्री केशवराय का मंदिर,जिसमे 3 ही कृष्ण एवम् 3 ही विष्णु की प्रतिमाये स्थित है। 64 खम्बे व108 टोड़ी है। ये केशवराय मंदिर विश्व दर्शन के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।इस सम्बन्ध विराटनगर पौराणिक, प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए, राजस्थान के जयपुर और अलवर जिले की सीमा पर स्थित है विराटनगर में पौराणिक शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बोद्ध माथों के भग्नावशेष, अशोक का शिला लेख और मुगलकालीन भवन विद्यमान है। अनेक जलाशय और कुंड इस क्षेत्र की शोभा बढा रहे हैं। प्राकर्तिक शोभा से प्रान्त परिपूर्ण है। विराटनगर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय व्याघ्र अभ्यारण, भर्तृहरी का तपोवन, पाण्डुपोल नाल्देश्वर और सिलिसेढ़ जैसे रमणीय तथा दर्शनीय स्थल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते है। यहाँ के दर्शय दर्शनीय स्थलो में प्रसिद्ध श्रीकेश्वराय मंदिर नगर के मध्य आकर्षक का केंद्र है। जिसमे भगवान केशव एवम् विष्णु के साथ कोई देवी (शक्ति) नहीं है। भगवान केशव का जो रूप महाभारत में था। उसी स्वरूप में भगवन श्रीकृष्ण का मंदिर दर्शनीय है। जो विराटनगर पर्यटन नगरी में सुविख्यात है।
 
=== भैरू बाबा ===
चमत्कारिक भैरू बाबा का मन्दिर विराट नगर के पूर्व में स्थित है मान्यता के अनुसार ये मन्दिर महाभारत कालीन है भैरू बाबा के दारू का भोग लगाने से हर मन्नत पूरी होती है दूर दूर से लोग भैरू बाबा के दर्शन के लिये आते है 1950 में मे एक आदमी ने बाबा की मूर्ती को अपने घर लेजाने की कोशिश की लेकिन गांव की सीमा पर जाकर ये मूर्ती नीचे गिर गई ओर वहॉ से टस से मस भी नहीं हुई ओर वह आदमी उसी वक्त पागल हो गया तब सभी गा्मवासियो ने पूजा अर्चना की तब जाकर मूर्ती वापस मन्दिर में स्थापित हो सकी।
 
=== पावन धाम ===
महान हिन्दू संत, गोभकत [[महात्मा रामचन्द्र वीर]] द्वारा स्थापित पावन धाम पंचंखंड पर्वत पर वज्रांग मंदिर भी यही स्थापित है। इस मंदिर के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात ये हैं कि यहाँ [[हनुमान]] जी जाति [[वानर]] मानी गयी है, तन से उनको मानव सामान माना गया है। यह [[महात्मा रामचन्द्र वीर]] की जन्मभूमि भी है।
विराट नगर के उत्तर पश्चिम मैं स्थित गोगेरा पर्वत
 
विराट नगर से 90 कि॰मी॰ की दूरी पर [[जयपुर]] और 60 कि॰मी॰ पर [[अलवर]] और 40 कि॰मी॰ पर [[शाहपुरा, भीलवाड़ा|शाहपुरा]] स्थित है।
 
== इन्हें भी देखें ==
भठोड. का भैरू बाबा
* [[जयपुर ज़िला]]
 
== सन्दर्भ ==
चमत्कारिक भैरू बाबा का मन्दिर विराट नगर के पूर्व में स्थित है मान्यता के अनुसार ये मन्दिर महाभारत कालीन है भैरू बाबा के दारू का भोग लगाने से हर मन्नत पूरी होती है दूर दूर से लोग भैरू बाबा के दर्शन के लिये अाते है 1950 में मे एक आदमी ने बाबा की मूर्ती को अपने घर लेजाने की कोशिश की लेकिन गांव की सीमा पर जाकर ये मूर्ती नीचे गिर गई ओर वहॉ से टस से मस भी नहीं हुई ओर वह आदमी उसी वक्त पागल हो गया तब सभी गा्मवासियो ने पूजा अर्चना की तब जाकर मूर्ती वापस मन्दिर में स्थापित हो सकी
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[[श्रेणी:राजस्थान के शहर]]
[[श्रेणी:जयपुर ज़िला]]
[[श्रेणी:जयपुर ज़िले के नगर]]