"परमार वंश": अवतरणों में अंतर

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== राजा ==
 
* राजा [<nowiki/>[[गर्दभिल्ल]]</nowiki> या गंधर्वसेन (ईसा पूर्व द्वितीय - प्रथम शताब्दी)
 
* '''महान चक्रवर्ती सम्राट [[विक्रमादित्य]] परमार''' (ईसा. पूर्व. 700 से 800 साल पहले हुए होगे । यह सत्य हे कि विक्रम संवत के प्रवर्तक उज्जैनी के सम्राट विक्रमादित्य ही हे । किंतु राजा विक्रमादित्य के बाद कहि सारे राजाओने विक्रमादित्य कि उपाधी धारण की थी ,जैसे चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, हेमचंद्र विक्रमादित्य एसे कइ राजाओने विक्रमादित्य कि उपाधि धारण कि थी इसिलिये इतिहास मे मतभेद हुआ होगा कि विक्रम संवत कब शुरु हुआ होगा। कइ इतिहासकारों का मानना हे कि चंद्रगुप्त मौर्य, और सम्राट अशोक ईसा. पूर्व. 350 साल पहले हुए यानी चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य चंद्रगुप्त मौर्य के बाद हुए । पर राजा विक्रम के समय चमत्कार था जब कि चंद्रगुप्त मौर्य के समय कोइ चमत्कार नही था। इसिलिये हय बात सिद्ध होती हे कि राजा विक्रम बहुत साल ‌पहले हो चुके हे। उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य माँ हरसिध्धि भवानी को गुजरात से उज्जैनी लाये थे और कुलदेवी माँ हरसिद्धि भवानीको ११ बार शीश काटकर अर्पण किया था। सिंहासन बत्तीसी पर बिराजमान होते थे।जो ३२ गुणो के दाता थे।जिन्होंने महान भुतनाथ बेत‍ाल को अपने वश में किया था।जो महापराक्रमी थे त्याग,न्याय और उदारशिलता के लिये जाने जाते थे।और उस समय केवल महाराजा विक्रमादित्य ही सह शरीर स्वर्ग में जा सकते थे| राजा गंधर्वसेन का पुत्र विक्रमादित्य हुए।