"साहित्य": अवतरणों में अंतर

साहित्य समाज का आइना नहीं प्रतिबिंब है। द्वारा रामचंद्र शुक्ल
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* आसान शब्दो मे समझा जाएतो :• साहित्य समाज का एक आईना है जिसमे हम समाज को देखते है अर्थात यह मानवीय जीवन का चित्र होता है। जबकि आचार्य रामचंद्र शुक्ल की नजर से देखें तो यह समाज का आइना ना होकर उसका प्रतिबिंब होने के अधिक निकट है, चूंकि साहित्य जनता के मनोभाव, वृत्तियों आदि से निकलता है ना कि जनता साहित्य से चित्तवृत्तियां ग्रहण करती है।
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