"देवीमाहात्म्य": अवतरणों में अंतर

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'''दुर्गा सप्तशती''' हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसे '''देवी महात्म्य''' और '''चण्डीपाठ''' के नाम से भी जाना जाता है। यह [[मार्कण्डेय पुराण]] का अंश है। इसमें ७०० [[श्लोक]] होने के कारण इसे 'सप्तशती' कहते हैं। इसमें [[सृष्टि]] की प्रतीकात्मक व्याख्या की गई है। जगत की सम्पूर्ण शक्तियों के दो रूप माने गये है - संचित और क्रियात्मक। [[दुर्गा नवरात्रि]] के दिनों में इसका पाठ किया जाता है।
 
इस रचना का विशेष संदेश है कि विकास-विरोधी दुष्ट अतिवादी शक्तियों को सारे सभ्य लोगों कि सम्मिलित शक्ति "सर्वदेवशरीजम" ही परास्त कर सकती है, जो रास्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इस प्रकार आर्यशक्ति अजय है। इसमे गमन (इसका भेदन ) दुष्कर है। इसलिए यह दुर्गा है। यह [[अतिवादी|अतिवादियों]] के ऊपर संतुलन - शक्ति (stogun) सभ्यता के विकास कि सही पहचान है।