किसी नाभिक के प्रोटॉन, न्यूट्रॉन को अलग करने के लिए आवश्यक उर्जा को उस नाभिक की बंधन ऊर्जा कहते हैंबंधनहैं। बंधन ऊर्जा वो ऊर्जा होती है जो नाभिक को बांधकर रखती है। इस ऊर्जा का स्तर भिन्न भिन्न नभिकों में भिन्न भिन्न होता है। नाभिक का द्रव्यमान जितना अधिक होगा उसका ऊर्जा स्तर उतना ही अधिक होगा। बंधन ऊर्जा की विविधता के कारण नाभिक अस्थिर होते है। नाभिक की प्रकृति अस्थिरता से स्थिरता की ओर जाने की होती है। इसलिए अस्थिर नाभिक क्षय के बाद स्थिर नाभिक में परिवर्तित होते है। नाभिक के क्षय होने की दर उसकी औसत आयु पर निर्भर होती है।