[[चित्र:Kakori Shaheed.jpg|thumb|right|200px|काकोरी काण्ड के चार शहीद इनमें तीन-अशफाक, बिस्मिल, रोशन सिंह व रोशनप्रेम कृष्ण खन्ना शाहजहाँपुर के थे]]जिन लोगों ने इस जिले का नाम पूरे विश्व में चमकाया उनमें बीसवीं सदी के महान क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह तो हैं ही, सन् १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख पुरोधा मौलवी अहमद उल्ला शाह<ref>डॉ॰ एन० सी० मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान पृष्ठ ५७</ref> का नाम भी इतिहास में दर्ज़ है जिनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके। इसके बावजूद यहाँ के बागियों ने हिम्मत नहीं हारी और अंग्रेजों व उनके पिट्ठुओं का कत्ले-आम जारी रक्खा। कुछ ने डरकर घण्टाघर रोड पर स्थित एक नवाब की कोठी में शरण ली तो क्रांतिकारियों ने उस कोठी को ही आग के हवाले कर दिया। आज भी वह कोठी '''जली कोठी'''<ref>डॉ॰ एन० सी० मेहरोत्रा स्वतन्त्रता आन्दोलन में जनपद शाहजहाँपुर का योगदान पृष्ठ ५३</ref> के नाम से जानी जाती है।