"टंट्या भील": अवतरणों में अंतर

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में जाँबाजी का अमिट अध्याय बन चुके आदि विद्रोही '''टंट्या भील''' अंग्रेजी दमन को ध्वस्त करने वाली जिद तथा संघर्ष की मिसाल है। टंट्या भील के शौर्य की छबियां वर्ष 1857 के बाद उभरीं। जननायक टंट्या ने ब्रिटिश हुकूमत द्वारा ग्रामीण आदिवासी जनता के साथ शोषण और उनके मौलिक अधिकारों के साथ हो रहे अन्याय-अत्याचार की खिलाफत की। दिलचस्प पहलू यह है कि स्वयं प्रताड़ित अंग्रेजों की सत्ता ने जननायक टंट्या को “इण्डियन रॉबिनहुड’’ का खिताब दिया। मध्यप्रदेश के जननायक टंट्या भील को वर्ष 1890 में कुछ जयचंद की वजह से फाँसी दे दी गई।। '''टांटिया भील एक महान भील योद्धा थे।'''
 
== संस्थान ==
 
* तात्या भील अध्ययन केंद्र - आर्थिक रूप से कमजोर विधार्थियो के लिए यह केंद्र है जनहा विद्यार्थी निशुल्क पढ़ाई कर सकते हैं <ref>{{https://www.google.com/amp/s/m.patrika.com/amp-news/khandwa-news/tantya-bhil-learning-center-to-be-built-soon-education-will-be-easy-6550082/}}</ref>।
 
==अन्य महत्वपूर्ण==