"विजय सिंह पथिक": अवतरणों में अंतर

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== बिजौलिया किसान आंदोलन ==
 
भारत देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले वीर क्रांतिकारियों में से एक थे vijay singh pathik । उनके ऊपर अपने पुरे परिवार की और माँ की क्रान्तिकारी और देशभक्ति में परिपूर्ण पृष्ठभूमि का बहुत गहरा असर पड़ा था।
 
विजय सिंह पथिक अपनी पूरी जिंदगी क्रांतिकारी आंदोलन में समर्पित कर दी थी। विजय सिंह पथिक युवावस्था में ही अमर क्रान्तिकारियों जैसे की रासबिहारी बोस
 
और शचीन्द्रनाथ सान्याल वगेरे लोगो के संपर्क में आये थे वैसे [https://www.thebiohindi.com/biography-of-vijay-singh-pathik-in-hindi/ vijay singh pathik] जी का मूल नाम ‘भूपसिंह’ था, किंतु ‘लाहौर षड़यंत्र’ के बाद उन्होंने अपना नाम बदल कर विजय सिंह पथिक रख लिया
 
और फिर अपने जीवन के अंत समय तक वे इसी नाम से जाने जाते रहे। महात्मा गाँधी के ‘सत्याग्रह आन्दोलन’ से बहुत पहले ही पथिक जी ने ‘बिजोलिया किसान आन्दोलन’ के नाम से किसानों में स्वतंत्रता के प्रति अलख जगाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया था।
 
1912 में ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली लाने का निर्णय किया। इस अवसर पर भारत के गवर्नर जनरल लार्ड हाडिंग ने दिल्ली प्रवेश करने के लिए एक शानदार जुलूस का आयोजन किया। उस समय अन्य क्रान्तिकारियों ने जुलूस पर बम फेंक कर लार्ड हार्डिग को मारने की कोशिश की किन्तु वायसराय साफ बच गया। रास बिहारी बोस, जोरावर सिंह, प्रताप सिंह, पथिक जी व अन्य सभी सम्बन्धित क्रान्तिकारी अंग्रेजों के हाथ नहीं आये और वे फरार हो गए।