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==जीवनी==
Jai Shankar Prasad हिन्दी के महान कवि, नाटकार, के साथ साथ कथाकार, और उपन्यासकार निबन्धकार थे। जयशंकर प्रसाद के वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं
 
[https://www.thebiohindi.com/biography-of-jai-shankar-prasad-in-hindi/ जयशंकर प्रसाद] ने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की और उसीकी वजहसे खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई। आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में इनके कृतित्व का गौरव अक्षुण्ण है।
 
जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल 10, संवत्‌ 1946 वि०<ref name="ज" /> (तदनुसार 30 जनवरी 1889ई० दिन-गुरुवार)<ref name="ब" /> को [[काशी]] के सरायगोवर्धन में हुआ। इनके पितामह बाबू शिवरतन साहू दान देने में प्रसिद्ध थे और इनके पिता बाबू देवीप्रसाद जी कलाकारों का आदर करने के लिये विख्यात थ से बाबू देवीप्रसाद का ही स्वागत करती थी। किशोरावस्था के पूर्व ही माता और बड़े भाई । कच्ची गृहस्थी,मे ही मोसा की लडकी से शादी कर ली और एक अन्य पत्नि का भी उल्लेख आता है इनकी कुल सात संताने मानी गयी है जिसमें छह पुत्रियां व एक पुत्र था, इन सबका सामना उन्होंने धीरता और गंभीरता के साथ किया। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी में [[क्वींस कालेज]] में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], हिंदी, [[उर्दू भाषा|उर्दू]], तथा [[फ़ारसी भाषा|फारसी]] का अध्ययन इन्होंने किया। [[दीनबंधु ब्रह्मचारी]] जैसे विद्वान्‌ इनके संस्कृत के अध्यापक थे। इनके गुरुओं में '[[रसमय सिद्ध]]' की भी चर्चा की जाती है।