"रॉबर्ट बर्न्स": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) छो 103.238.111.191 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका |
||
पंक्ति 3:
== परिचय ==
robert burns – जल गया (पुराने रूसी वर्तनी में जन्मे; स्कॉट्स। और अंग्रेजी। रॉबर्ट बर्न्स, गेलिक। रायबरेट बर्न्स, 1759-1796) – ब्रिटिश (स्कॉटिश) कवि, लोकगीतकार, कई कविताओं और तथाकथित “सादे स्कॉटिश” और अंग्रेजी में लिखी कविताओं के लेखक।
[https://www.thebiohindi.com/biography-of-robert-burns-in-hindi/ रॉबर्ट बर्न्स] का जन्मदिन, 25 जनवरी, स्कॉटलैंड में एक राष्ट्रीय अवकाश है, जिसे कवि के व्यंजन (मुख्य रूप से हार्दिक हैगिस पुडिंग) के पारंपरिक क्रम के साथ, गाला डिनर (बर्न्स नाइट या बर्न्स सपर) द्वारा मनाया जाता है,
रॉबर्ट बर्न्स का जन्म २५ जनवरी सन् १७५९ को एल्लोवे नामक स्थान पर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिल्कुल अल्प एवं अनियमित थी, किंतु पुस्तकें पढ़ने में वह बहुत तन्मय रहते थे और १६ वर्ष की अवस्था में ही उस समय प्रचलित ललित शिक्षा के अनेक तत्वों को वह ग्रहण कर चुके थे। उनके ऊपर पड़े प्रारंभिक प्रभावों के अंतर्गत कहानियों, बिरहों और गीतों का नाम लिया जा सकता है। सन् १७८१ में बर्न्स ने अपने भाई के साथ एक छोटे फॉर्म की व्यवस्था की किंतु उसका परिणाम अत्यंत दु:खद सिद्ध हुआ और अपनी असफलता का कटु अनुभव कर अपनी मातृभूमि छोड़ वह जमैका जाने के लिए उद्यत हुए। किंतु यात्रा के लिए उनके पास धन नहीं था, एतदर्थ उन्होंने १७८६ ई. में अपनी कविताओं का प्रसिद्ध और अमूल्य किलमार्नाक संस्करण प्रकाशित कराया जिससे उनकी प्रशंसा बहुत बढ़ गई। दूसरे संस्करण के प्रकाशनार्थ वह एडिनबरा गए जहाँ साहित्यिक केंद्रों के प्रवर विद्वानों ने उनका अभूतपूर्व स्वागत किया। उनके इस दूसरे संस्करण से उन्हें धन की अच्छी प्राप्ति हुई, फलत: उन्होंने एलिसलैंड का फार्म हस्तगत कर लिया, जहाँ वे अपनी पत्नी जीन आर्मर के साथ सन् १७८८ से रहने लगे। सन् १७८९ में उनकी नियुक्ति आबकारी विभाग के कार्यकर्ता के पद पर हुई। किंतु दूसरी बार भी कृषि में असफलता मिलने पर वे हफ्रींज़ चले गए जहाँ उन्होंने अपने आबकारी वेतन पर ही जीवनयापन करने निश्चय किया। उनका वेतन ७० पौंड वार्षिक से अधिक न हो सका। युवावस्था के प्रारंभ में ही वह नारी सौंदर्य के प्रति जागरूक थे। स्वास्थ्य और सौभाग्य में पूर्णत: क्षीण रॉबर्ट बर्न्स का जीवन ३७ वर्ष तक बहुत अस्तव्यस्त रहा। गठिया ज्वर के कारण २१ जुलाई १७९६ को उनकी मृत्यु हो गई।
|