"योगाचार": अवतरणों में अंतर

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'''योगाचार''' [[बौद्ध दर्शन]] एवं [[मनोविज्ञान]] का एक प्रमुख शाखा है। यह भारतीय महायान की उपशाखा है। इस सम्प्रदाय की स्थापाना ईसा की तीसरी शताब्दी में मैत्रेय या मैत्रेयनाथ ने की थी। [[योग]] तथा [[आचार]] पर विशेष बल देने के कारण इसे योगाचार कहते हैं। योगाचार को 'विज्ञानवाद', विज्ञप्तिवाद, या विज्ञप्तिमात्रतावाद भी कहते हैं।
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| footer = [[असंग]] (बाएं) तथा [[वसुबन्धु]] की प्रतिमा (कोफुकु-जी) में)]]
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'''योगाचार''' [[बौद्ध दर्शन]] एवं [[मनोविज्ञान]] का एक प्रमुख शाखा है। यह भारतीय महायान की उपशाखा है। इस सम्प्रदाय की स्थापाना ईसा की तीसरी शताब्दी में मैत्रेय या मैत्रेयनाथ ने की थी। इस दर्शन का विकास [[असंग]] एवं [[वसुबन्धु]] ने किया। [[योग]] तथा [[आचार]] पर विशेष बल देने के कारण इसे योगाचार कहते हैं। योगाचार को 'विज्ञानवाद', विज्ञप्तिवाद, या विज्ञप्तिमात्रतावाद भी कहते हैं।
 
योगाचार्य इस बात की व्याख्या करता है कि हमारा मन किस प्रकार हमारे अनुभवों की रचना करता है। योगाचार दर्शन के अनुसार मन से बाहर संवेदना का कोई स्रोत नहीं है।