"शेर शाह सूरी": अवतरणों में अंतर

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→‎प्रारंभिक जीवन: शेरशाह सूरी की चार पत्नी थी जिनसे आठ पुत्र हुए
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== प्रारंभिक जीवन ==
शेरशाह का जन्म पंजाब के होशियारपुर शहर में बजवाड़ा नामक स्थान पर हुआ था, उनका असली नाम फ़रीद खाँ था पर वो शेरशाह के रूप में जाने जाते थे क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर कम उम्र में अकेले ही एक शेर को मारा था। उनका कुलनाम 'सूरी' उनके गृहनगर "सुर" से लिया गया था। उनके दादा इब्राहिम खान सूरी नारनौल क्षेत्र में एक जागीरदार थे जो उस समय के [[दिल्ली]] के शासकों का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके पिता [[पंजाब]] में एक अफगान रईस ज़माल खान की सेवा में थे। शेरशाह के पिता की दोचार पत्नियाँ औरथी जिनसे आठ बच्चे थे।प्राप्त हुए ।<ref name="General Knowledge Today">{{cite web|url=http://www.gktoday.in/sher-shah-suri|title=Sher Shah Suri 1540-1545 (Early Life)|trans-title=शेर शाह सूरी १५४०-१५४५ (पूर्व जीवन)|publisher=जनरल नोलेज टुडे|accessdate=१६ मई २०१४|date=२८ मई २०११|language=अंग्रेज़ी|archive-url=https://web.archive.org/web/20140513030429/http://www.gktoday.in/sher-shah-suri/|archive-date=13 मई 2014|url-status=dead}}</ref>
 
शेरशाह को बचपन के दिनो में उसकी सौतेली माँ बहुत सताती थी तो उन्होंने घर छोड़ कर [[जौनपुर]] में पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी कर शेरशाह 1522 में ज़माल खान की सेवा में चले गए। पर उनकी सौतेली माँ को ये पसंद नहीं आया। इसलिये उन्होंने ज़माल खान की सेवा छोड़ दी और [[बिहार]] के स्वघोषित स्वतंत्र शासक बहार खान नुहानी के दरबार में चले गए।<ref name="General Knowledge Today" /> अपने पिता की मृत्यु के बाद फ़रीद ने अपने पैतृक ज़ागीर पर कब्ज़ा कर लिया। कालान्तर में इसी जागीर के लिए शेरखां तथा उसके सौतेले भाई सुलेमान के मध्य विवाद हुआ