"जलियाँवाला बाग़": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Jallianwallah.jpg|thumb|कांड के महीनों बाद 1919 में बाग़ का दृश्य]]
पहले अंग्रेज़ राजी हो जाते हैं एवं युद्ध के बाद में अंग्रेज अपने स्वभाव के रूप ही पुनः धोखा दे अपनी बात से इनकार कर देते हैं । उसी समय एक अधिनियम आया था 1915 का ‘ Defence of India Act 1915 ’
 
जिसमें पंजाब के [http://solutionclg.com/jallianwala-bagh-hatyakand/ दो क्रांतिकारी सत्यपाल व सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार] कर लिया गया जो इस अधिनियम के विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे उस समय सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल का देश में बुहुत ही अधिक प्रभाव था परन्तु अंग्रेजो द्वारा दोनों को बेवजह बिना किसी जांच के पकड़ कर जेल में डाले जाने पर सभी क्रांतिकारियों ने किसी और के साथ ऐसा भविष्य में न हो इसके लिए एक शांतिपूर्ण आंदोलन करने की योजना बनाई गई ।
 
जब नेता बाग़ में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। सैनिकों ने बाग़ को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं। १० मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं। जलियाँवाला बाग़ उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। वहां तक जाने या बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया।