"सूरदास": अवतरणों में अंतर
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*(१) '''[[सूरसागर]]''' - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
*(२) '''[[सूरसारावली]]'''
*(३) '''[[साहित्य-लहरी]]''' - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।▼
▲]]''' - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
*(४) '''नल-दमयन्ती'''
*(५) '''ब्याहलो'''
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* सूरसागर का मुख्य वर्ण्य विषय श्री कृष्ण की लीलाओं का गान रहा है।
* सूरसारावली में कवि ने जिन कृष्ण विषयक कथात्मक और सेवा परक पदों का गान किया उन्ही के सार रूप में उन्होंने सारावली की रचना की है।
* सहित्यलहरी मैं सूर के दृष्टिकूट पद संकलित हैं।
==सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ ==
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