"जोनबील मेला": अवतरणों में अंतर

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==वस्तु विनिमय प्रणाली==
[[File:Jonbeel Fair 12.jpg|thumb|वस्तु विनिमय प्रणाली]]
जोनबील मेला एक खाध विनिमय मेला है। मानव जाति की भलाई के लिए सर्वप्रथम यहां अग्नि पूजा की जाती है। इस अवसर पर एक विशाल बाजार आयोजित किया जाती है। हर वर्ष मेला शुरू होने से पूर्व भारत के पूर्वोत्तर पर्वतीय इलाकों में रहने वाले जनजातियों करवी,खांसी,तिवर,जयंतियां अपने मनमोहक हस्त निर्मित उत्पादन के साथ मेले में आते हैं। यह देश का एकमात्र मेला है, जहां कुछ खरीदने के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ती है। जिस तरह प्राचीन काल में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी। जहां आज भी बार्टर प्रणाली मौजूद है। पहाड़ी इलाकों पर होने वाली फसलें फल, आलू, हल्दी, मिर्च आदि लाते हैं। और मैदानी भागों से चावल, तेल, मछली आदि अनुपजाऊ फसलों को अपने साथ ले जाते है। अतः यह भारत का एकमात्र मेला है, जहां आज भी वस्तु प्रणाली जीवित है।<ref>{{cite web |title=जोनबील मेला: जहां बिना पैसे के मिलता है हर सामान, वजह जानकर रह जाएंगे दंग |url=http://hindi.catchnews.com/ajab-gajab-news-in-hindi/jonbeel-mela-where-cashless-transactions-have-been-in-vogue-for-500-years-in-assam-159627.html |website=Catch Hindi |accessdate=6 दिसम्बर 2020 |language=hi}}</ref>
[[File:A Tiwa Women Preparing food.jpg|thumb|मेला में खाना बनाती हुई एक तिवान औरत]]
 
==महत्त्व==
[[File:Jonbeel Fair 5.jpg|thumb|एक आसमियन स्वदेशी औरत अपने बच्चे के साथ जोनबील मेले में।]]