"स्वप्न": अवतरणों में अंतर

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चैतन्य से दीप्त अज्ञान वृत्ति से मुक्त होकर आनन्द को भोगता है। इसी कारण सोकर उठा हुआ मनुष्य कहता है मैं सुख पूर्वक सोया, बढ़े चैन से सोया, इन शब्दों से सुषुप्ति में आनन्द के अस्तित्व का पता चलता है। मुझे कुछ याद नहीं है, इससे अज्ञान के अस्तित्व का भी पता चलता है।
 
[[श्रेणी:स्वप्न]]