"नंद वंश": अवतरणों में अंतर

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नंदो का राजकोष धन से भरा रहता था, जिसमें 99 करोड़ की अपार स्वर्ण मुद्राएं थी ।इनकी आर्थिक संपन्नता का मुख्य कारण सुव्यवस्थित लाभों उन्मुखी विदेशी एवं आंतरिक व्यापार था।
प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा वर्णन में उल्लेख किया है कि "नंद राजा के पास खजाने थे इस में 7 प्रकार के बहुमूल्य कीमती पत्थर थे"।
 
==नंद वंश की उपलब्धियां==
 
नंद वंश के संस्थापक सम्राट महापदम नंद ने मगध को एक विशाल साम्राज्य में परिणत कर दिया । भारतीय इतिहास में पहली बार एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना हुई इसकी सीमाएं गंगा घाटी के मैदानों का अतिक्रमण कर गई। विंध्य पर्वत के दक्षिण में विजय वैजयंती फहराने वाला पहला मगध का शासक महापद्मनंद ही था, खारवेल का हाथीगुंफा अभिलेख से भी कलिंग विजय सूचित होती है। इसके अनुसार नंद राजा जिनसेन की एक प्रतिमा उठा ले ले गए थे तथा उन्होंने कलिंग में तनसुली नहर का भी निर्माण कराया था। मैसूर के 12वीं शती के लेखों में भी नंदो द्वारा कुंतल जीते जाने का विवरण सुरक्षित है क्लासिकल लेखकों के विवरण से पता चलता है की अग्रिम इज का राज्य पश्चिम में व्यास नदी तक फैला था यह भूभाग महापद्मनंद द्वारा ही जीता गया था क्योंकि अगर 20 को किसी भी विजय का श्रेय नहीं प्रदान किया गया है उसकी विजयों के साथ ही क्षत्रियों का राजनीतिक प्रवृत्ति समाप्त हुआ इस विशाल साम्राज्य में एकतंत्रत्मक शासन व्यवस्था की स्थापना की गई।
 
==नंद शासन का महत्त्व==