"हिन्दी–उर्दू विवाद": अवतरणों में अंतर
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===== मंटो के विचार =====
इस विवाद से त्रस्त होकर मशहूर साहित्यकार [[सआदत हसन मंटो]] ने ''हिंदी और उर्दू'' नामक एक व्यंग्यात्मक लेख में अपनी व्यथा कुछ इस प्रकार व्यक्त की<ref>{{Cite web|url=https://www.rekhta.org/articles/hindi-aur-urdu-saadat-hasan-manto-articles?lang=hi|title=हिंदी और उर्दू|last=मंटो|first=सआदत हसन|date=|website=रेख्ता|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>-<blockquote>’हिन्दी और उर्दू का झगड़ा एक ज़माने से जारी है। मौलवी अब्दुल-हक़ साहब, डाक्टर तारा चंद जी और महात्मा गांधी इस झगड़े को समझते हैं लेकिन मेरी समझ से ये अभी तक बालातर है। कोशिश के बावजूद इस का मतलब मेरे ज़हन में नहीं आया। हिन्दी के हक़ में हिंदू क्यों अपना वक़्त ज़ाया करते हैं। मुसलमान, उर्दू के तहफ़्फ़ुज़ के लिए क्यों बेक़रार हैं...? ज़बान बनाई नहीं जाती, ख़ुद बनती है और ना इन्सानी कोशिशें किसी ज़बान को फ़ना कर सकती हैं।
=== मुस्लिम अलगाववाद ===
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