"चन्द्रगुप्त मौर्य": अवतरणों में अंतर
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==चन्द्रगुप्त का कुल==
चंद्रगुप्त मौर्य के वंश आदि के बारे में अधिक ज्ञात नहीं होता। [[मुद्राराक्षस]] नामक संस्कृत [[नाटक]] चन्द्रगुप्त को "वृषल" और "कुलहीन" कहता है। 'वृषल' के दो अर्थ होते हैं- पहला, 'शूद्र का पुत्र' तथा दूसरा, "सर्वश्रेष्ठ राजा" । <ref>[https://en.wikipedia.org/wiki/Chandragupta_Maurya#CITEREFMookerji1988 Mookerji 1988] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20200608093847/https://en.wikipedia.org/wiki/Chandragupta_Maurya#CITEREFMookerji1988 |date=8 जून 2020 }}, pp. 9–11.</ref>
[[मगध साम्राज्य]] की प्रसारनीति के कारण इनकी स्वतंत्र स्थिति शीघ्र ही समाप्त हो गई। यही कारण था कि चन्द्रगुप्त का मयूरपोषकों, चरवाहों तथा लुब्धकों के संपर्क में पालन हुआ। परम्परा के अनुसार वह बचपन में अत्यन्त तीक्ष्णबुद्धि था, एवं समवयस्क बालकों का सम्राट् बनकर उनपर शासन करता था। ऐसे ही किसी अवसर पर चाणक्य की दृष्टि उसपर पड़ी, फलतः चंद्रगुप्त तक्षशिला गए जहाँ उन्हें राजोचित शिक्षा दी गई। ग्रीक इतिहासकार जस्टिन के अनुसार सांद्रोकात्तस (चंद्रगुप्त) साधारणजन्मा था।
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