"मौर्यकालीन स्थापत्य या वास्तु कला": अवतरणों में अंतर
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राजकीय व्यय को विभिन्न वर्गों में रखा जा सकता है—जैसे 1. राजा और राज्य परिवार का भरण—पोषण, 2. राज्य कर्मचारियों के वेतन। राज्य की आय का बड़ा भाग वेतन देने पर खर्च होता था। सबसे अधिक वेतन 48,000 पण मंत्रियों का था और सबसे कम वेतन 60 पण था। आचार्य, पुरोहित और क्षत्रियों को वह देह भूमि दान में दी जाती थी जो कर मुक्त होती थी। ख़ान, जंगल, राजकीय भूमि पर कृषि आदि के विकास के लिए राज्य की ओर से धन व्यय किया जाता था। सेना पर काफ़ी धन व्यय किया जाता था। अर्थशास्त्र के अनुसार प्रशिक्षित पदाति का वेतन 500 पण, रथिक का 200 पण और आरोहिक (हाथी और घोड़े पर चढ़कर युद्ध करने वाले) का वेतन 500 से 1000 पण वार्षिक रखा गया था। इससे अनुमान लग सकता है कि सेना पर कितना खर्च होता था। उच्च सेनाधिकारियों का वेतन 48,000 पण से लेकर 12,000 पण वार्षिक तक था।
यद्यपि मौर्य साम्राज्य में सैनिकों पर अत्यधिक खर्च किया जाता था, तथापि यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि इस शासन—व्यवस्था में कल्याणकारी राज्य की कई विशेषताएँ पाई जाती हैं, जैसे राजमार्गों के निर्माण, सिंचाई का प्रबन्ध, पेय जल की व्यवस्था, सड़कों के किनारे छायादार वृक्षों का लगाना, मनुष्य और पशुओं के लिए चिकित्सालय, मृत सैनिकों तथा राज कर्मचारियों के परिवारों के भरण—पोषण, कृपण—दीन—अनाथों का भरण—पौषण आदि। इन सब कार्यों पर भी राज्य का व्यय होता था। अशोक के समय इन परोपकारी कार्यों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई।
==सन्दर्भ==
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