"कैबिनेट मिशन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Manojkumar.a (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Manojkumar.a (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
ब्रिटिश '''कैबिनेट मिशन''' 1946 में भारत आया. इस मिशन का लक्ष्य भारतीय नेतृत्व को सत्ता सौंपने की योजना पर विचार-विमर्श करना था. इस मिशन ने [[राष्ट्रमंडल देशों]] के सदस्य के रूप में भारत को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिया. इस मिशन का गठन ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री [[क्लीमेंट एटली]] की पहल पर हुआ. इस मिशन के सदस्य [[लॉर्ड पैट्रिक-लॉरेंस]], [[सर स्टॉफोर्ड क्रिप्स]], [[ए वी एलेक्जेंडर]] थे.
==उद्देश्य और प्रस्ताव==
मिशन के उद्देश्य
संविधान निर्माण के तरीकों पर पर आम सहमति के लिए ब्रिटिश भारत के चुने प्रतिनिधियों और भारतीय राज्यों से बातचीत करना
संविधान निर्मात्री सभा का गठन करना
देश की मुख्य दलों की मदद से कार्यकारी परिषद का गठन
मिशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों के बातचीत की. मिशन ने सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए हिंदु-मुस्लिम के बीच सत्ता साझेदारी की योजना बनाई. उधर, कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजों के चले जाने पर मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम जनता से स्वयं बातचीत कर उन्हें निर्णय लेने के लिए राजी करना चाहते थे. अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना भारत के साथ रहना चाहते थे लेकिन वह संविधान में मुसलमानों को विशेष राजनीतिक संरक्षण की गारंटी भी चाहते थे. मुस्लिम लीग ने तर्क दिया की अंग्रेजों के चले जाने के बाद भारत हिंदू राष्ट्र में बदल जाएगा. मुस्लिम लीग के इस तर्क का अंग्रेजों ने समर्थन किया. आरंभिक बातचीत के बाद मिशन ने 16 मई 1946 को नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा.
|