"पृथ्वी का वायुमण्डल": अवतरणों में अंतर
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वायुमंडल का [[घनत्व]] एक सा नहीं रहता। [[समुद्र तल|समुद्रतल]] पर वायु का दबाव 760 [[मिलीमीटर]] [[वायुमंडलीय दाब|पारे के स्तंभ]] के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। [[तापमान|ताप]] या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है।
[[सूर्य]] की [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|लघुतरंग विकिरण ऊर्जा]] से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा]] का [[विकिरण]] वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर [[पराबैंगनी]] प्रकाश से [[ऑक्सीजन|आक्सीजन]] अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं, जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं।
== वायुमंडल संगठन ==
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