"युग वर्णन": अवतरणों में अंतर

इन युगों में कितने पाप कर्म हुए तथा पाप कर्म हुए।
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'''युग''' का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः [[कलियुग]], [[द्वापर युग|द्वापर]], [[सत्य युग|सत्ययुग]], [[त्रेतायुग]] आदि। '''युग वर्णन''' का अर्थ होता है कि उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊँचाई होती है इन युगों में कितने पाप कर्म हुए पुण्य कर्म हुए एवं उनमें होने वाले अवतारों के बारे में विस्तार से परिचय दे।
 
प्रत्येक [[युग]] के वर्ष प्रमाण और उनकी विस्तृत जानकारी कुछ इस तरह है :