"धनानंद": अवतरणों में अंतर

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धनानंद अथवा धननंद मगध देश का एक राजा था। इसकी राज्य-सीमा व्यास नदी तक फैली थी। मगध की सैनिक शक्ति के भय से ही सिकंदर के सैनिकों ने व्यास नदी से आगे बढ़ना अस्वीकार कर दिया था। पालि ग्रन्थों में मगध के तत्कालीन शासक का नाम[1] धननंद बताया गया है। इसके अतिरिक्त पालि ग्रन्थों में नौ नंदों के नाम तथा उनके जीवन से सम्बन्धित कुछ बातें भी बताई गई हैं। इन ग्रन्थों से हमें पता चलता है कि नंदवंश के नौ राजा, जो सब भाई थे, बारी-बारी से अपनी आयु के क्रम से (वुड्ढपटिपाटिया) गद्दी पर बैठे। धननंद उनमें सबसे छोटा था। सबसे बड़े भाई का नाम उग्रसेन नंद बताया गया है; वही नंदवंश का संस्थापक था।[2]
 
 
महान सम्राट महाराजा [[महापद्मनंद]] जो एक न्यायी ([[नाई]]) शासक थे इनके 910 पुत्र निम्न लिखित है:-
 
:(1) गंगन पाल
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:(8) कैवर्त और
:(9) घनानंद
:(१०)चंद्रगुप्त(मौर्य वंश)
 
 
चंद्र नन्द जोकि महान सम्राट महाराजा महापद्मनंद के दसवें पुत्र थे जिनकी मा मुरा महापद्मनंद की दूसरी पत्नी थी आगे जाके चंद्रनन्द चंद्रगुप्त मौर्य हो गया चंद्रनन्द के नाम से नन्द हटा कर चाणक्य जिसका दूसरा नाम विष्नु गुप्त का गुप्त जोड़ कर चंद्रगुप्त किया और चंद्रगुप्त की माँ के नाम मुरा के बदले मौर्य रखा आगे जाके अपने सौतेले भाई घनानंद को जो एक बुरा शासक था उसे मार कर मौर्य वंश की नीव रखी गयी ।
 
इनमें से घनानंद नौवां पुत्र था। जो नंदवंश का आगे चलकर उत्तराधिकारी बना।
 
अलग-अलग इतिहास कार अपने अपने पृथक तर्क से इनके शासन व सुशासन काल का वर्णन करते है नन्दवंश न्याय (नाई) शासक द्वारा स्थापित राजवंश था।
 
बौद्ध धर्म अपनी चरम सीमा मे था, अत: बहुत सी किताबों मे घनानन्द एक स्वतंत्र व आधुनिक बौध धर्म से प्रेरित बताया गया है॥
 
[[श्रेणी:नन्द वंश]]