'''सर दिनशा इडलजी वाचा''' (Dinshaw Edulji Wacha; २ अगस्त १८४४ - १८ फरवरी १९३६) [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देनेवाले [[मुम्बई|बंबई]] के तीन मुख्य [[पारसी]] नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, सर [[फिरोज़शाह मेहता|फीरोज शाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। सर दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी। वे भारत में ब्रिटिश शासन के विशेषत: ब्रिटेन द्वारा भारत के आर्थिक शोषण के अत्यंत कटु आलोचक थे। वे इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखकर और भाषण देकर लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे।