"जयदेव": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Radha and Krishna in Discussion.jpg|thumb|300px|right|बसोहली चित्र (1730 ई) गीत गोविन्द]]
'''जयदेव''' (१२०० ईस्वी के आसपास) [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] के महाकवि हैं जिन्होंने [[गीतगोविन्द|गीत गोविंद]] और [[रतिमञ्जरी|रतिमंजरी]] की रचना की। जयदेव, उत्कल राज्य यानि [[ओडिशा]] के [[गजपति राजाओं]] के समकालीन थे।
 
जयदेव एक वैष्णव भक्त और संत के रूप में सम्मानित थे। उनकी कृति ‘गीत गोविन्द’ को [[भागवत पुराण|श्रीमद्‌भागवत]] के बाद राधाकृष्ण की [[लीला]] की अनुपम साहित्य-अभिव्यक्ति माना गया है। [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] कवियों की परंपरा में भी वह अंतिम कवि थे, जिन्होंने ‘गीत गोविन्द’ के रूप में संस्कृत भाषा के मधुरतम गीतों की रचना की। कहा गया है कि जयदेव ने दिव्य रस के स्वरूप राधाकृष्ण की रमणलीला का स्तवन कर आत्मशांति की सिद्धि की। [[भक्ति विजय]] के रचयिता संत [[महीपति]] ने जयदेव को श्रीमद्‌भागवतकार [[वेदव्यास|व्यास]] का [[अवतार]] माना है।
 
== परिचय एवं प्रशंसा ==
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==संबंधित कड़ियाँ==
[[Image;Ancient stone idol of poet Jayadeba at Akhandaleswara Temple, Prataparudrapura, Odisha.jpg|right|thumb|300px|[[उड़ीसा]] के [[प्रतापरुद्रपुर]] के अखण्डलेश्वर मंदिर में जयदेव की प्राचीन प्रस्तर प्रतिमा]]
 
*[[गीतगोविन्द]]
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जयदेव" से प्राप्त