"कूलॉम-नियम": अवतरणों में अंतर

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: ''दो बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला स्थिरविद्युत बल का मान उन दोनों आवेशों के गुणनफल के [[समानुपात|समानुपाती]] होता है तथा उन आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के [[व्युत्क्रमानुपात|व्युत्क्रमानुपाती]] होता है।''
:इस नियम के अनुसार विराम अवस्था में दो [http://bigpathshala.in/vidhut-aavesh-kise-kahte-hai/ विधुत आवेशो] के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल उनके आवैशों के परिमाण के गुुुुणनफल के समानुपाती तथा उनकी मध्य की दूरी के व्युत्क्रानुपाती होता है।
 
इस नियम को अदिश रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं-
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:<math>F=k_e\frac{q_1 q_2}{r^2},</math>
जहाँ ''k''{{sub|''e''}} [[कूलॉम्ब नियतांक]] है जिसका मान ''k''{{sub|''e''}} ≈ {{val|9e9|u=N⋅m{{sup|2}}⋅C{{sup|−2}}}} होता है।<ref>{{harvnb|Huray|2010|p=7}}</ref> ''q''{{sub|1}} और ''q''{{sub|2}} दोनों आवेशों के चिह्नसहित मान हैं, और ''r'' दोनों आवेशों के बीच की दूरी है। जब दोनों आवेश विपरीत चिह्न के होते हैं तो उनके बीच आकर्षण होता है जबकि दोनों आवेश समान होने पर प्रतिकर्षण होता है।
 
[http://bigpathshala.in/kulam-ka-niyam-paribhasa-sutra/ कूलाम के नियम की उत्पत्ति]
 
== '''कूलॉम के नियम की सीमाएँ''' ==