"राणा पूंजा": अवतरणों में अंतर

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राणा पूंजा, अरावली पर्वतमाला में स्थित [[भोमट]] क्षेत्र के राजा थे, उन्होंने मजबूत सेना का गठन कर रखा था, जिसमें करीब ४००-५०० सिपाही थे | राणा पुंजा के ४०० सैनिक मुगलों के ४००० के बराबर थे, क्यूंकि वे आमने-सामने की युद्ध में विस्वास ना रखकर, छिपकरगुरिल्ला युद्ध करते थे | उनकी शक्ति को देखते हुए ही , मेवाड़ के शासक [[महाराणा प्रताप|महाराणा प्रताप जी]] और मुगल शासक [[अकबर]] के संरक्षक [[बैरम खां|बैरम खान]], [[भील]] राणा के पास सहायता लेने पहुंचे ।हल्दीघाटी युद्ध को सफल बनाने में राणा पुंजा और उनकी सेना का बड़ा योगदान रहा। इसी युद्ध के दौरान ही इनके इकलौते बेटे का निधन हो गया | राणा पूंजा के योगदान के फलस्वरूप ही मेवाड़ चिन्ह में उन्हें अंकित किया गया है, साथ-साथ राणा पूंजा के नाम से पुरस्कार वितरित किया जाता है और कॉलेज और विद्यालयों की स्थापना की गई है <ref>{{
https://books.google.co.in/books?id=-HtHDwAAQBAJ&pg=PA219&dq=Maharshi+Valmiki+Bhil&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwjR07Cy7ZnrAhXK4XMBHQKlC4AQ6AEIPDAD}}</ref>।