"गुर्जरदेश": अवतरणों में अंतर

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[[गुर्जर]] जाति के आधिपत्य के कारण आधुनिक [[राजस्थान]] जिसका गठन आजादी के बाद ३० मार्च,१९४९ को हुआ वह सातवीं शताब्दी में गुर्जरदेश कहलाता था। हर्ष वर्धन (606-647 ई.) के दरबारी कवि बाणभट्ट ने हर्ष-चरित नामक ग्रन्थ में हर्ष के पिता प्रभाकरवर्धन का [[गुर्जर]] राजाओं के साथ संघर्ष का ज़िक्र किया हैं। संभवतः उसका संघर्ष गुर्जर देश के [[गुर्जरों]] के साथ हुआ था| अतः गुर्जर छठी शताब्दी के अंत तक गुर्जर देश (आधुनिक राजस्थान) में स्थापित हो चुके थे। हेन सांग ने 641 ई. में सी-यू-की नामक पुस्तक में गुर्जरदेश का वर्णन किया हैं। हेन सांग ने मालवा के बाद ओचलि, कच्छ, वलभी, आनंदपुर, [[सौराष्ट्र]] और गुर्जर देश का वर्णन किया हैं। गुर्जर देश के विषय में उसने लिखा हैं कि ‘वल्लभी के देश से 1800 ली (300 मील) के करीब उत्तर में जाने पर गुर्जर राज्य में पहुँचते हैं| यह देश करीब 5000 ली (833 मील) के घेरे में हैं। उसकी राजधानी भीनमाल 33 ली (5 मील) के घेरे में हैं। ज़मीन की पैदावार और रीत-भांत सौराष्ट्र वालो से मिलती हुई हैं। आबादी घनी हैं लोग धनाढ्य और संपन्न हैं। वे बहुधा नास्तिक हैं, (अर्थात बौद्ध धर्म को नहीं मानने वाले हैं)। बौद्ध धर्म के अनुयाई थोड़े ही हैं। यहाँ एक संघाराम (बौद्ध मठ) हैं, जिसमे 100 श्रवण (बौद्ध साधु) रहते हैं, जो हीन यान और सर्वास्तिवाद निकाय के मानने वाले हैं। यहाँ कई दहाई देव मंदिर हैं, जिनमे भिन्न संप्रदायों के लोग रहते हैं। राजा क्षत्रिय जाति का हैं। वह २० वर्ष का हैं। वह बुद्धिमान और साहसी हैं। उसकी [[बौद्ध]] धर्म पर दृढ आस्था हैं और वह बुधिमानो का बाद आदर करता हैं।भीनमाल के रहने वाले ज्योत्षी ब्रह्मगुप्त ने शक संवत 550 (628 ई.) में अर्थात हेन सांग के वह आने के 13 वर्ष पूर्व ब्रह्मस्फुट नामक ग्रन्थ लिखा जिसमे उसने वहाँ के राजा का नाम गुर्जर सम्राट व्याघ्रमुख [[चपराणा राजवंश|चपराणा]] और उसके वंश का नाम चप (चपराना, चापोत्कट, चावडा) बताया हैं| हेन सांग के समय भीनमाल का राजा व्याघ्रमुख अथवा उसका पुत्र रहा होगा।
 
==गुर्जरदेश में मंदिरों की निर्माण==
 
[[बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना]] जिले में [[गुर्जर]] राजाओं के द्वारा निर्मित लगभग २०० बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिरों की श्रंखला, [[सिहोनिया]] गुर्जर प्रतिहार शैली मे निर्मित काकनमठ मंदिर, [[चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना]],‌[[आदिवराह मंदिर, आहड]] और ११-१२वी सदी में बने [[राम जन्मभूमि|राम मंदिर]] जैसे अनेकों मंदिरों का निर्माण [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश]] के राजाओं ने ही करवाया था।<ref>[https://www-naidunia-com.cdn.ampproject.org/v/s/www.naidunia.com/lite/madhya-pradesh/morena-bateshwar-shiv-temples-is-mysterious-and-attractive-2536896?amp_js_v=a6&amp_gsa=1&usqp=mq331AQHKAFQArABIA%3D%3D#aoh=16069213099203&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.naidunia.com%2Fmadhya-pradesh%2Fmorena-bateshwar-shiv-temples-is-mysterious-and-attractive-2536896]|title=Hundreds of temple constructed by Gurjars king</ref><ref>[https://www-amarujala-com.cdn.ampproject.org/v/s/www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/noida/gujjar-representation-claim-in-ram-mandir-trust-grnoida-news-noi4725962103?amp_js_v=a6&amp_gsa=1&usqp=mq331AQHKAFQArABIA%3D%3D#aoh=16069210187733&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.amarujala.com%2Fdelhi-ncr%2Fnoida%2Fgujjar-representation-claim-in-ram-mandir-trust-grnoida-news-noi4725962103]| title=Ram mandir by gurjars king</ref>[[भीनमाल]] का इतिहास, गुर्जरों का नाता कुषाण सम्राट [[कनिष्क]] से जोड़ता हैं। प्राचीन [[भीनमाल]] नगर में सूर्य देवता के प्रसिद्ध जगस्वामी मन्दिर का निर्माण काश्मीर के राजा कनक (सम्राट कनिष्क) ने कराया था। मारवाड़ एवं उत्तरी गुजरात कनिष्क के साम्राज्य का हिस्सा रहे थे। भीनमाल के जगस्वामी मन्दिर के अतिरिक्त कनिष्क ने वहाँ ‘करडा’नामक झील का निर्माण भी कराया था। [[भीनमाल]] से सात कोस पूर्व ने कनकावती नामक नगर बसाने का श्रेय भी कनिष्क को दिया जाता है। कहते है कि [[भीनमाल]] के वर्तमान निवासी देवड़ा/देवरा लोग एवं श्रीमाली ब्राहमण, कनक के साथ ही काश्मीर से आए थे। देवड़ा/देवरा, लोगों का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने जगस्वामी सूर्य मन्दिर बनाया था। राजा कनक से सम्बन्धित होने के कारण उन्हें सम्राट कनिष्क की देवपुत्र उपाधि से जोड़ना गलत नहीं होगा। सातवी शताब्दी में यही भीनमाल नगर गुर्जर देश की राजधानी बना।