"गुर्जरदेश": अवतरणों में अंतर

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[[बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना]] जिले में [[गुर्जर]] राजाओं के द्वारा निर्मित लगभग २०० बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिरों की श्रंखला, [[सिहोनिया]] गुर्जर प्रतिहार शैली मे निर्मित काकनमठ मंदिर, [[चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना]],‌[[आदिवराह मंदिर, आहड]] और ११-१२वी सदी में बने [[राम जन्मभूमि|राम मंदिर]] जैसे अनेकों मंदिरों का निर्माण [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश]] के राजाओं ने ही करवाया था।<ref>[https://www-naidunia-com.cdn.ampproject.org/v/s/www.naidunia.com/lite/madhya-pradesh/morena-bateshwar-shiv-temples-is-mysterious-and-attractive-2536896?amp_js_v=a6&amp_gsa=1&usqp=mq331AQHKAFQArABIA%3D%3D#aoh=16069213099203&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.naidunia.com%2Fmadhya-pradesh%2Fmorena-bateshwar-shiv-temples-is-mysterious-and-attractive-2536896]|title=Hundreds of temple constructed by Gurjars king</ref><ref>[https://www-amarujala-com.cdn.ampproject.org/v/s/www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/noida/gujjar-representation-claim-in-ram-mandir-trust-grnoida-news-noi4725962103?amp_js_v=a6&amp_gsa=1&usqp=mq331AQHKAFQArABIA%3D%3D#aoh=16069210187733&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.amarujala.com%2Fdelhi-ncr%2Fnoida%2Fgujjar-representation-claim-in-ram-mandir-trust-grnoida-news-noi4725962103]| title=Ram mandir by gurjars king</ref>[[भीनमाल]] का इतिहास, गुर्जरों का नाता कुषाण सम्राट [[कनिष्क]] से जोड़ता हैं। प्राचीन [[भीनमाल]] नगर में सूर्य देवता के प्रसिद्ध जगस्वामी मन्दिर का निर्माण काश्मीर के राजा कनक (सम्राट कनिष्क) ने कराया था। मारवाड़ एवं उत्तरी गुजरात कनिष्क के साम्राज्य का हिस्सा रहे थे। भीनमाल के जगस्वामी मन्दिर के अतिरिक्त कनिष्क ने वहाँ ‘करडा’नामक झील का निर्माण भी कराया था। [[भीनमाल]] से सात कोस पूर्व ने कनकावती नामक नगर बसाने का श्रेय भी कनिष्क को दिया जाता है। कहते है कि [[भीनमाल]] के वर्तमान निवासी देवड़ा/देवरा लोग एवं श्रीमाली ब्राहमण, कनक के साथ ही काश्मीर से आए थे। देवड़ा/देवरा, लोगों का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने जगस्वामी सूर्य मन्दिर बनाया था। राजा कनक से सम्बन्धित होने के कारण उन्हें सम्राट कनिष्क की देवपुत्र उपाधि से जोड़ना गलत नहीं होगा। सातवी शताब्दी में यही भीनमाल नगर गुर्जर देश की राजधानी बना।
 
==गुर्जरदेश में हूणों और कुषाणों का आगमन==
 
ए. कनिघंम ने आर्केलोजिकल सर्वे रिपोर्ट 1864 में कुषाणों की पहचान आधुनिक [[गुर्जरों]] से की है और उसने माना है कि गुर्जरों के [[कसाना]] गौत्र के लोग [[कुषाणों]] के वर्तमान प्रतिनिधि है गुर्जर देश से गुर्जरों ने पूर्व और दक्षिण की तरफ अपना विस्तार किया|<ref name="ref58vehaf">[http://books.google.co.in/books?id=HPa5TwBTd8oC&pg=PA94&dq Bharatiya Samantvaad], Ramsharan Sharma, राजकमल प्रकाशन</ref> 580 ई के लगभग दद्दा गुर्जर ने दक्षिणी गुजरात के भडोच इलाके में एक राज्य की स्थापना कर ली थी| अपने अधिकांश शासन काल के दौरान भडोच के गुर्जर वल्लभी के मैत्रको के सामंत रहे। भगवान जी लाल इंद्र के अनुसार वल्लभी के मैत्रक भी गुर्जर थे| गुर्जर मालवा होते हुए दक्षिणी [[गुजरात]] पहुंचे और भडोच में एक शाखा को वह छोड़ते हुए समुन्द्र के रास्ते वल्लभी पहुंचे। मैत्रको के अतरिक्त चावडा यानि चप ([[चपराणा राजवंश|चपराणा]]) [[गुर्जर]] भी छठी शताब्दी में समुन्द्र के रास्ते ही [[गुजरात]] पहुंचे थे। [[गुजरात]] में [[चपराणा राजवंश|चपराणा]] सबसे पहले बेट-सोमनाथ इलाके में आकर बसे| छठी शताब्दी के अंत तक [[चालुक्य राजवंश|चालुक्यो]] ने दक्कन में वातापी राज्य की स्थापना कर ली थी| होर्नले के अनुसार वो हूण गुर्जर समूह के थे| मंदसोर के यशोधर्मन और हूणों के बीच मालवा में युद्ध लगभग 530 ई. में हुआ था। होर्नले का मत हैं कि यशोधर्मन से मालवा में पराजित होने के बाद हूणों की एक शाखा नर्मदा के पार दक्कन की तरफ चली गई| जिन्होने [[चालुक्य राजवंश|चालुक्यो]] के नेतृत्व वातापी राज्य की स्थापना की।