"गुलाम अहमद": अवतरणों में अंतर

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इनको 'कादियानी' भी कहा जाता है। गुरदासपुर के कादियान नामक कस्बे में 23 मार्च 1889 को इस्लाम के बीच एक आंदोलन शुरू हुआ जो आगे चलकर अहमदिया आंदोलन के नाम से जाना गया। यह आंदोलन बहुत ही अनोखा था। इस्लाम धर्म के बीच एक व्यक्ति ने घोषणा की कि "मसीहा" फिर आयेंगे और मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया आंदोलन शुरू करने के दो साल बाद 1891 में अपने आप को "मसीहा" घोषित कर दिया। 1974 में अहमदिया संप्रदाय के मानने वाले लोगों को पाकिस्तान में एक संविधान संशोधन के जरिए गैर-मुस्लिम करार दे दिया गया।
[[चित्र:MirzaQadian Ghulam Ahmad groupc.1899.jpg|right|thumb|220px|मिर्जा गुलाम अहमद (बीच में) तथा कुछ साथी (कादियाँ, १८९९ ई)]]
== पूर्वज ==