"राजा गर्दभिल्ल": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
 
जैन पट्टावलियों तथा जीवनवृत्तात्मक ग्रन्थों के अनुसार विक्रमादित्य के पिता का नाम गर्दभिल्ल था । गर्दभिल्ल व्यक्तिवाचक नाम नहीं वरन् यह वंश - नाम है । यह बात पुराणगत साक्ष्यों से प्रमाणित होती है । पुराणों के अनुसार सात ( या दस ) राजाओं का एक गर्दभिल्ल ( गर्दभिन ) वंश आन्ध्रों के समकालीन राज वंशों में एक था । इसकी पुष्टि जैन ग्रंथ हरिवंश से भी होनी है जिसके तिथि सम्बन्धी इतिहास में रासभ ( गर्दभिल्ल ) शासकों का उल्लेख है । उनका शासनकाल कुल मिलाकर एक सौ वर्ष था । हमने जो कुछ कहा उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि विक्रमादित्य का वंश गर्दभिल्ल कहलाता था । वंश का यह अभिधान क्यों था , कहना कठिन है । प्रभावकचरित में यह वर्णन प्राप्त होता है कि गर्दभिल्ल रासभी विद्या ( गदहों का खेल ) जानता था जिससे वह शत्रुओं में खलबली मचा देता था । यह विद्या कोई सैनिक - यन्त्र - न्यास या सैनिक व्यवस्था थी जिसके लिए गर्दभिल्ल इतने प्रख्यात थे और बाद में उसी नाम से जाने गये । यह भी संभव है कि उनकी सेना का वेसर महागुल्म ( खच्चरों का रेजीमेंट ) बड़ा प्रवल था जिसके नाम पर उस परिवार का नाम पड़ गया ।  गर्दभिल्ल मालवों की एक शाखा है।
जा गर्दभिल्ल को कलकाचर्या नामक [[साधु]] की [[बहन]] सरस्वती से प्रेम था , साधु के खिलाफ जाकर उन्होंने सरस्वती का अपहरण कर लिया , इस पर उस साधु ने [[स्किथी]]/ स्किथियन राजा से सहयोग मांगा , लेकिन राजा गर्दभिल्ल से युद्ध करने की हिम्मत उस राजा में नहीं थी <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC&lpg=PA73&dq=gardabhilla&hl=hi&pg=PA73#v=onepage&q=gardabhilla&f=false {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160304094352/https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC#v=onepage&q=gardabhilla&f=false |date=4 मार्च 2016 }}]]</ref> , तब साधु ने [[शक| शकों]] से सहायता मांगी , शक और गर्दभिल्ल की सेना में भयानक युद्ध हुआ , और गर्दभिल्ल युद्ध हार गए , लेकिन उनके वंशज सम्राट [[विक्रमादित्य]] ने पुनः शकों को पराजित कर उज्जैन पर पुनः अधिकार कर लिया ,राजा गर्दभिल्ल भील जनजाति से संबंधित थे <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=1lI9AAAAIAAJ&q=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&dq=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwirhdvs2fTpAhVUfisKHW3sAU4Q6AEIRzAF<nowiki>}}</nowiki></ref> <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=KOJ8aT3xYPoC&pg=PA63&lpg=PA63&dq=gardabhilla+tribe+vikramaditya&source=bl&ots=2B0qV_rw5T&sig=ACfU3U0uvAvQZby5gy8MuijYivaFkKBodw&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwi_rM-13PTpAhUaVH0KHSAOAK8Q6AEwAnoECAMQAQ<nowiki>}}</nowiki></ref> । राजा विक्रमादित्य की विजय से प्रभावित होकर आगे आने वाले समय में कुल 14 उपाधियों विक्रमादित्य नाम से अन्य राजाओं को दी गई ।
 
जैन विद्वान् मेरुतुङ्ग की विचारश्रेणि से ज्ञात होता है कि गर्दभिल्ल एक बहुत बड़े समुदाय की एक शाखा थी । यह ग्रंथ विशाला (उज्जयिनी) का राजवंशिक इतिहास देते हुए विक्रमादित्य को ' मालवराय ' बताता है । यहाँ ' मालय ' शब्द जनता के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है , यह इस बात से सिद्ध होता है कि विशाला क्षेत्र का , जिस पर विक्रमादित्य शासन करते थे , पहले ही उल्लेख हो चुका है । हम दूसरे साधनों से भी जानते हैं कि मालवों की ऐसी शाखायें थीं भी । नंदसा - यूप - अभिलेख के अनुसार ' इक्ष्वाकुओं द्वारा स्थापित और प्रथितयश राजर्षियों के मालव वंश में उदित विजय पर नृत्य करनेवाले , जयसोम के पुत्र , प्रभारवर्धन के पौत्र , सोगियों के नायक सोम ने कई शत सहस्र गार्यों को दक्षिणा ( रूप में दिया ) । ' यह अभिलेखात्मक प्रमाण इस बात की पुष्टि करता है कि सोगी मालवों की एक उपजाति थी । उसी प्रकार गर्दभिल्ल को भी मालवों की उपजाति माना जा सकता है । विक्रमादित्य भारतीय इतिहासप्रसिद्ध मालवों की गर्दभिल्ल शाखा में उत्पन्न हुये थे । <ref>{{Cite book|title=विक्रमादित्य : संवत् प्रवर्तक. डाॅ. राजबली पांडेय.|last=|first=|publisher=चौखम्बा विद्याभवन|year=1960.|isbn=|location=वाराणसी|pages=68-70.}}</ref>
 
जाराजा गर्दभिल्ल को कलकाचर्या नामक [[साधु]] की [[बहन]] सरस्वती से प्रेम था , साधु के खिलाफ जाकर उन्होंने सरस्वती का अपहरण कर लिया , इस पर उस साधु ने [[स्किथी]]/ स्किथियन राजा से सहयोग मांगा , लेकिन राजा गर्दभिल्ल से युद्ध करने की हिम्मत उस राजा में नहीं थी <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC&lpg=PA73&dq=gardabhilla&hl=hi&pg=PA73#v=onepage&q=gardabhilla&f=false {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160304094352/https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC#v=onepage&q=gardabhilla&f=false |date=4 मार्च 2016 }}]]</ref> , तब साधु ने [[शक| शकों]] से सहायता मांगी , शक और गर्दभिल्ल की सेना में भयानक युद्ध हुआ , और गर्दभिल्ल युद्ध हार गए , लेकिन उनके वंशज सम्राट [[विक्रमादित्य]] ने पुनः शकों को पराजित कर उज्जैन पर पुनः अधिकार कर लिया ,राजा गर्दभिल्ल भील जनजाति से संबंधित थे <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=1lI9AAAAIAAJ&q=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&dq=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwirhdvs2fTpAhVUfisKHW3sAU4Q6AEIRzAF<nowiki>}}</nowiki></ref> <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=KOJ8aT3xYPoC&pg=PA63&lpg=PA63&dq=gardabhilla+tribe+vikramaditya&source=bl&ots=2B0qV_rw5T&sig=ACfU3U0uvAvQZby5gy8MuijYivaFkKBodw&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwi_rM-13PTpAhUaVH0KHSAOAK8Q6AEwAnoECAMQAQ<nowiki>}}</nowiki></ref> । राजा विक्रमादित्य की विजय से प्रभावित होकर आगे आने वाले समय में कुल 14 उपाधियों विक्रमादित्य नाम से अन्य राजाओं को दी गई ।
 
== इन्हें देखे ==