"राजा गर्दभिल्ल": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
पंक्ति 5:
 
जैन विद्वान् मेरुतुङ्ग की विचारश्रेणि से ज्ञात होता है कि गर्दभिल्ल एक बहुत बड़े समुदाय की एक शाखा थी । यह ग्रंथ विशाला (उज्जयिनी) का राजवंशिक इतिहास देते हुए विक्रमादित्य को ' मालवराय ' बताता है । यहाँ ' मालय ' शब्द जनता के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है , यह इस बात से सिद्ध होता है कि विशाला क्षेत्र का , जिस पर विक्रमादित्य शासन करते थे , पहले ही उल्लेख हो चुका है । हम दूसरे साधनों से भी जानते हैं कि मालवों की ऐसी शाखायें थीं भी । नंदसा - यूप - अभिलेख के अनुसार ' इक्ष्वाकुओं द्वारा स्थापित और प्रथितयश राजर्षियों के मालव वंश में उदित विजय पर नृत्य करनेवाले , जयसोम के पुत्र , प्रभारवर्धन के पौत्र , सोगियों के नायक सोम ने कई शत सहस्र गार्यों को दक्षिणा ( रूप में दिया ) । ' यह अभिलेखात्मक प्रमाण इस बात की पुष्टि करता है कि सोगी मालवों की एक उपजाति थी । उसी प्रकार गर्दभिल्ल को भी मालवों की उपजाति माना जा सकता है । विक्रमादित्य भारतीय इतिहासप्रसिद्ध मालवों की गर्दभिल्ल शाखा में उत्पन्न हुये थे । <ref>{{Cite book|title=विक्रमादित्य : संवत् प्रवर्तक. डाॅ. राजबली पांडेय.|last=|first=|publisher=चौखम्बा विद्याभवन|year=1960.|isbn=|location=वाराणसी|pages=68-70.}}</ref>
 
मालवा में गन्‍धर्व के स्‍थान पर श्वेताम्बर मान्‍यता के अनुसार गर्दभिल्‍ल का नाम आता है अथवा गर्दभी विद्या जानने के कारण यह राजवंश गर्दभिल्‍ल के नाम से प्रसिद्ध हो गया था।<ref>{{Cite web|url=गन्‍धर्वसेन (हिंदी) jainkosh.org। अभिगमन तिथि: 25 अप्रॅल, 2018।|title=jainkosh.org|last=|first=|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
राजा गर्दभिल्ल को कलकाचर्या नामक [[साधु]] की [[बहन]] सरस्वती से प्रेम था , साधु के खिलाफ जाकर उन्होंने सरस्वती का अपहरण कर लिया , इस पर उस साधु ने [[स्किथी]]/ स्किथियन राजा से सहयोग मांगा , लेकिन राजा गर्दभिल्ल से युद्ध करने की हिम्मत उस राजा में नहीं थी <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC&lpg=PA73&dq=gardabhilla&hl=hi&pg=PA73#v=onepage&q=gardabhilla&f=false {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160304094352/https://books.google.co.in/books?id=LlqOvvJJnugC#v=onepage&q=gardabhilla&f=false |date=4 मार्च 2016 }}]]</ref> , तब साधु ने [[शक| शकों]] से सहायता मांगी , शक और गर्दभिल्ल की सेना में भयानक युद्ध हुआ , और गर्दभिल्ल युद्ध हार गए , लेकिन उनके वंशज सम्राट [[विक्रमादित्य]] ने पुनः शकों को पराजित कर उज्जैन पर पुनः अधिकार कर लिया ,राजा गर्दभिल्ल भील जनजाति से संबंधित थे <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=1lI9AAAAIAAJ&q=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&dq=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwirhdvs2fTpAhVUfisKHW3sAU4Q6AEIRzAF<nowiki>}}</nowiki></ref> <ref><nowiki>{{</nowiki>https://books.google.co.in/books?id=KOJ8aT3xYPoC&pg=PA63&lpg=PA63&dq=gardabhilla+tribe+vikramaditya&source=bl&ots=2B0qV_rw5T&sig=ACfU3U0uvAvQZby5gy8MuijYivaFkKBodw&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwi_rM-13PTpAhUaVH0KHSAOAK8Q6AEwAnoECAMQAQ<nowiki>}}</nowiki></ref> । राजा विक्रमादित्य की विजय से प्रभावित होकर आगे आने वाले समय में कुल 14 उपाधियों विक्रमादित्य नाम से अन्य राजाओं को दी गई ।