"राजा गर्दभिल्ल": अवतरणों में अंतर

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'''राजा गर्दभिल्ल''' [[उज्जैन]] के एक शक्तिशाली और पराक्रमी [[राजा]] थे। उज्जैन में उनके वंश का शासन लंबे समय तक रहा वह गर्दभिल्ल [[जनजाति]] के शासक थे , गर्दभिल्ल जनजाति [[भील]] जनजाति से संबंधित है <ref>{{https://bit.ly/2UqGSOy}}</ref> <ref>[https://books.google.co.in/books?id=zcQtAQAAIAAJ&q=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&dq=%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwirhdvs2fTpAhVUfisKHW3sAU4Q6AEIJjAA]</ref> इतिहासकार डाॅ, राजबली पांडेय के अनुसार गर्दभिल्ल इक्वाक्षुवंशीय सुर्यवंशी क्षत्रिय है और मालवों की ही शाखा है। गर्दभिल्ल इस वंश का नाम है। इसी वंश में विक्रमादित्य और गंधर्वसेन हुएं । रासभी विद्या या गदहों का खेल जिसे ये उक्त राजा जानते थे उसके कारण इन्हें गर्दभिल्ल नाम मिला। गर्दभिल्ल वंश मालवों की शाखा है। <ref>{{Cite book|title=विक्रमादित्य: संवत्-प्रवर्तक. डाॅ. राजबली पांडेय.|last=|first=|publisher=चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी.|year=1960|isbn=|location=वाराणसी, भारत.|pages=}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://books.google.co.in/books?id=CntXAAAAMAAJ&q=संवत्+प्रवर्तक+विक्रमादित्य+डॉ+राजबली+पांडेय&dq=संवत्+प्रवर्तक+विक्रमादित्य+डॉ+राजबली+पांडेय&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwiZnrHaxN7tAhUegdgFHZ4PC9IQ6AEwAnoECAQQAg|title=विक्रमादित्य: संवत्-प्रवर्तक|last=|first=|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
== इतिहास ==