"गिरिजा कुमार माथुर": अवतरणों में अंतर

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'''गिरिजा कुमार माथुर''' ([[२२ अगस्त]] [[१९१९]] - [[१० जनवरी]] [[१९९४]]) एक [[कवि]], [[नाटककार]] और [[समालोचना|समालोचक]] थे।
 
गिरिजा कुमार माथुर का जन्म [[मध्य प्रदेश]] के [[अशोक नगर]] में हुआ।<ref>{{cite web|url=http://www.anubhuti-hindi.org/gauravgram/gkm/index.htm|title=गिरिजा कुमार माथुर|access-date=[[१६ दिसंबर]] [[२००९]]|format=एचटीएम|publisher=अनुभूति|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20181010225250/http://www.anubhuti-hindi.org/gauravgram/gkm/index.htm|archive-date=10 अक्तूबर 2018|url-status=dead}}</ref> उनके पिता देवीचरण माथुर स्कूल अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। [[सितार]] बजाने में प्रवीण थे। माता लक्ष्मीदेवी [[मालवा]] की रहने वाली थीं और शिक्षित थीं। गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने घर ही [[अंग्रेजी]], [[इतिहास]], [[भूगोल]] आदि पढाया।पढ़ाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद [[१९३६]] में स्नातक उपाधि के लिए [[ग्वालियर]] चले गये। ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की तथा सन् [[१९३८]] में उन्होंने बी.ए. किया, [[१९४१]] में उन्होंने [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] से अंग्रेजी में एम॰ए॰ किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन [[१९४०]] में उनका विवाह [[दिल्ली]] में शकुन्त माथुर से हुआ, जो अज्ञेय द्वारा सम्पादित सप्तक परम्परा ('दूसरा सप्तक') की पहली कवयित्री रहीं। 1943 से 'ऑल इंडिया रेडियो' में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अंग्रेजी और उर्दू के वर्चस्व के बीच हिन्दी को पहचान दिलाई। लोकप्रिय रेडियो चैनल '[[विविध भारती]]' उन्हीं की संकल्पना का मूर्त रूप है। माथुर जी [[दूरदर्शन]] के उप-महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।
 
गिरिजाकुमार की काव्यात्मक शुरुआत [[१९३४]] में [[ब्रजभाषा]] के परम्परागत [[कवित्त]]-[[सवैया]] लेखन से हुई। वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[बालकृष्ण शर्मा नवीन]] आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और [[१९४१]] में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने [[निराला]] से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा [[भारत]] में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन [[१९४३]] में [[अज्ञेय]] द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित '[[तारसप्तक]]' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी [[नाटक]], आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है।<ref>{{cite web|url=http://www.lakesparadise.com/madhumati/show_artical.php?id=1616|title=प्रयोग, प्रगति एवं नयी कविता के कवि गिरिजा कुमार माथुर|access-date=[[१६ दिसंबर]] [[२००९]]|format=पीएचपी|publisher=मधुमती|language=}}{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>