"ठाट": अवतरणों में अंतर

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'''थाट''' अथवा '''ठाट''' [[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] में रागों के विभाजन की पद्धति है। [[सप्तक]] के १२ स्वरों में से ७ क्रमानुसार मुख्य स्वरों के उस समुदाय को '''ठाट''' या '''थाट''' कहते हैं जिससे [[राग]] की उत्पत्ति होती है।<ref>{{cite book |last= श्रीवास्तव|first= |authorlink= |author2= |editor= |others= |title= राग-परिचय|origdate= origyear= |origmonth= |url= |format= |access-date= हरिश्चन्द्र |edition= |date= |year= |month= |publisher= संगीत सदन प्रकाशन|location= इलाहाबाद|language= हिन्दी|id= |doi = |pages= 115|chapter= पंचम अध्याय|chapterurl= |quote = }}</ref> थाट को मेल भी कहा जाता है। इसका प्रचलन पं॰ [[भातखंडे|भासखंड़ें]] जी ने प्रारम्भ किया। [[हिन्दी]] में 'ठाट' और [[मराठी]] में इसे 'थाट' कहते हैं। उन्होंने दस थाटों के अन्तर्गत प्रचलित सभी रागों को सम्मिलित किया। वर्तमान समय में राग वर्गीकरण की यही पद्धति प्रचलित है।
 
थाट के कुछ लक्षण माने गये हैं-
पंक्ति 8:
* थाट को गाया बजाया नहीं जाता। इससे किसी राग की रचना की जाती है जिसे गाया बजाया जाता है।
 
* एक थाट से कई रागों की उत्पत्ति हो सकती है। आज भारतीय संगीत पद्धति में १० ही थाट माने जाते हैं।हैं।9876543245 Punjabi Ka no. Ha
 
== दस ठाट ==
पं०पं. भातखंडे के द्वारा वर्गीकृत दस थाटों के नाम इस प्रकार हैं-
 
* 1. [[कल्याण ठाट]]
पंक्ति 63:
== अंग्रेजी प्रारूप ==
[[चित्र:Thatts Northern Hindustani Classical Music.jpg|800px]]
 
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<td height="29" width="79" style="height: 21.75pt; width: 59pt" class="style1">
थाट</td>
<td width="35" style="width: 26pt" class="style2">सा</td>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ठाट" से प्राप्त