"ताड़का": अवतरणों में अंतर
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[[रामायण]] की एक पात्र।
==जन्म==
सुकेतु नाम का एक अत्यंत बलवान यक्ष था। उसकी कोई भी सन्तान नहीं थी। अतः सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से उसने [[ब्रह्मा]] जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे सन्तान होने का वरदान दे दिया और उस वर के परिणामस्वरूप ताड़का का जन्म हुआ। सुकेतु ने ब्रह्मा जी से ताड़का के अत्यंत बली होने का वर भी ले लिया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर में हजार हाथियों का बल दे दिया।
===विवाह=== विवाह योग्य आयु होने पर सुकेतु ने ताड़का का विवाह सुन्द नाम के राक्षस से कर दिया और उससे सुबाहु और मारीच का जन्म हुआ। मारीच भी अपनी माता के समान बलवान और पराक्रमी ===पुत्र ताड़का का पुत्र मारीच सुन्द राक्षस से उत्तपन्न होकर भी स्वयं राक्षस नहीं ===बदला और मृत्यु=== अपने पति की मृत्यु और पुत्र की दुर्गति का बदला लेने के लिये ताड़का अगस्त्य ऋषि पर झपटी। परिणामस्वरूप ऋषि अगस्त्य ने शाप दे कर ताड़का की सुन्दरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिये ताड़का ने अगस्त्य मुनि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प किया। इसलिये ऋषि [[विश्वामित्र]] ने ताड़का का वध राम के हाथों करवा दिया। ==बाहरी कड़ियाँ==
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