"नागरीप्रचारिणी सभा": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2014}}
{{ज्ञानसन्दूक संस्थान
|name = नागरी प्रचारिणी सभा
 
|image = [[चित्र:Nagari pracharini sabhaa bhavan.gif|150px|center]]
|image_size =नागरी प्रचारिणी सभा का भवन
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=== स्वर्ण जयन्ती और हीरक जयन्ती ===
संवत् २००० वि. में सभा ने महाराज विक्रमादित्य की द्विसहस्स्राब्दी तथा अपनी स्वर्णजयंतियाँ और जीवन के ६० वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में सं. २०१० में अपनी हीरकजयंती के आयोजन बड़े समांरभपूर्वक किए। इन दोनों आयोजनों की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता यह रही की ये आयोजन उत्सव मात्र नहीं थे, प्रत्युत इन अवसरों पर सभा ने बड़े महत्वपूर्ण, ठोस तथा रचनात्मक कार्यों का समारंभ किया। उदाहरणार्थ, स्वर्णजयंती पर सभा ने अपना ५० वर्षों का विस्तृत इतिहास तथा नागरीप्रचारिणी पत्रिका का विक्रमांक (दो जिल्दों में) प्रकाशित किया। ५० वर्षों की खोज में ज्ञात सामग्री का विवरण एवं [[भारत कला भवन (वाराणसी)|भारत कला भवन]] तथा [[आर्यभाषा पुस्तकालय]] में संगृहीत सामग्री की व्यवस्थित सूची प्रकाशित करने की भी उसकी योजना थीं, किन्तु ये कार्य खंडशः ही हो पाए। परिव्राजक स्वामी, सत्यदेव जी ने अपना आश्रम सत्यज्ञान निकेतन इसी अवसर पर देश के पश्चिमी भागों में प्रचार कार्य का केंद्र बनानेHBबनाने के निमित्त, सभा को दान कर दिया। इसी प्रकार हीरक जयंती पर सभा के ६० वर्षीय इतिहास के साथ हिंदी तथा अन्यान्य भारतीय भाषाओं के साहित्य का इन ६० वर्षों का इतिहास, नारीप्रचारिणी पत्रिका का विशेषांक, [[हिंदी शब्दसागर]] का संशोधन-परिवर्धन तथा आकर ग्रंथों की एक पुस्तकमाला प्रकाशित करने की सभा की योजना थी। यथोचित राजकीय सहयोग भी सभा को सुलभ हुआ, परिणामतः सभा ये कार्य सम्यक् रूप से संपन्न कर रही है।
 
== सदर्भ ग्रन्थ ==