"स्वास्थ्य": अवतरणों में अंतर

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छो Manoj Kumar Nagar Special Educator Rehabilitation Professionals स्वास्थ्य की देखभाल जिस व्यक्ति में अडिग एवं दृढ़ विश्वास तथा गुणों की शुद्धता होगी, उसमें स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति होगी। ऐसे व्यक्ति में बीमारी, असफलता तथा विपत्ति को रहने का स्थान नहीं मिलेगा, क्योंकि ऐसे व्यक्ति में ऐसी कोई वस्तु नहीं मिलेगी जिस पर वह पनप सके। (अंग्रेजी पाठ्य पुस्तक कक्षा 12 का हिंदी अनुवाद है- किसी बीमारी विशेष में स्व -चिकित्सा उपचार व देखभाल से इसका कोई संबंध नहीं है l) जितना शीघ्र हम यह अनुभव कर लें
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स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो आज के समय मे अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी आधुनिक तकनीक मौजूद हो चुकी हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं।
 
=== स्वास्थ्य की देखभाल ===
 
 
 
जिस
 
Rehabilitation Professionals
 
जिस व्यक्ति में अडिग एवं दृढ़ विश्वास तथा गुणों की शुद्धता होगी, उसमें स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति होगी। ऐसे व्यक्ति में बीमारी, असफलता तथा विपत्ति को रहने का स्थान नहीं मिलेगा, क्योंकि ऐसे व्यक्ति में ऐसी कोई वस्तु नहीं मिलेगी जिस पर वह पनप सके।
(अंग्रेजी पाठ्य पुस्तक कक्षा 12 का हिंदी अनुवाद है- किसी बीमारी विशेष में स्व -चिकित्सा उपचार व देखभाल से इसका कोई संबंध नहीं है l)
 
 
जितना शीघ्र हम यह अनुभव कर लें और पहचान लें कि बीमारी हमारी अपनी भूलों तथा पापों का परिणाम है, उतना ही शीघ्र हम सफलता के मार्ग पर चल पड़ेंगे। बीमारी उन्हीं व्यक्तियों को आती है जो इसे आकर्षित करते हैं, उन व्यक्तियों को आती है जिनके मस्तिष्क और शरीर उसे ग्रहण करने के लिए तैयार हैं और उन व्यक्तियों से दूर भाग जाती है जिनकी दृढ़, शुद्ध और सकारात्मक विचार शक्ति उनमें स्वस्थ, सुन्दर तथा जीवनदायिनी धारा प्रवाहित करती है।
 
यदि आप क्रोध, चिन्ता, ईष्र्या, लालच या अन्य किसी विचलित करने वाली मानसिक दशा के सुपुर्द हो जाओ और पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य की आशा करो तब आप असम्भव वस्तु की आशा कर रहे हो, क्योंकि आपे लगातार अपने मस्तिष्क में बीमारी के बीज बो रहे हो। ऐसी मानसिक दशाओं से बुद्धिमान् व्यक्ति सावधानीपूर्वक बचता है, क्योंकि वह जानता है कि ये एक खराब नाली अथवा दूषित मकान से भी अधिक खतरनाक होती है।
 
(2) If you would ……………. with sickness.
 
आप समस्त शारीरिक कष्टों से मुक्त होना चाहते हो और पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करना चाहते हो तब अपने मस्तिष्क को नियन्त्रण में रखो और अपने विचारों को सन्तुलित करो। आनन्द देने वाली बातों को सोचो, प्यार भरी बातों को सोचो और सद्भावना रूपी अमृत अपनी नसों में बहने दो, तब आपको अन्य किसी दवा की आवश्यकता नहीं होगी। अपनी ईष्र्या, सन्देहों, चिन्ताओं, घृणा एवं स्वार्थ की भावनाओं को दूर हटा दो तब आपकी बदहजमी, जिगर की गड़बड़, घबराहट और जोड़ों का दर्द समाप्त हो जाएगा। यदि आप इन कमजोर बनाने वाली और मस्तिष्क की दूषित आदतों से चिपके रहोगे तब उस समय शिकायत मत करो जब आपका शरीर बीमार हो जाए।
 
(3) Many people complain ……………. quickly forfeits.
 
बहुत से व्यक्ति शिकायत करते हैं कि अधिक कार्य करने से उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। ऐसे अधिकांश मामलों में स्वास्थ्य के खराब होने का कारण मूर्खतापूर्ण ढंग से शक्ति को नष्ट करने का परिणाम होता है। यदि आप स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हो तब आपको चिन्तारहित होकर काम करना सीखना चाहिए। चिन्तित या उत्तेजित होना या व्यर्थ की बातों पर परेशान होना स्वास्थ्य के खराब होने का न्यौता है। कार्य चाहे मानसिक हो या शारीरिक, लाभदायक और स्वास्थ्य प्रदान करने वाला होता है और वह व्यक्ति जो लगातार शान्त मस्तिष्क से समस्त चिन्ताओं से मुक्त होकर और अपने मस्तिष्क से इन सभी चिन्ताओं को भुलाकर अपने हाथ में आए कार्य को कर सकता है, वह केवल उस व्यक्ति से अधिक कार्य ही नहीं करेगा जो सदा जल्दबाजी में रहता है और चिन्तित रहता है, अपितु वह अपने स्वास्थ्य को भी बनाए रखेगा जो एक वरदान है और जिसे अन्य व्यक्ति जल्दी से खो देते हैं।
 
 
(4) True health ………………. even dream of
 
सच्चा स्वास्थ्य और सच्ची सफलता साथ-साथ चलती हैं, क्योंकि वे विचारों के संसार में अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। विश्वास की शक्ति से प्रत्येक स्थायी कार्य पूर्ण हो जाता है। भगवान् में विश्वास, भगवान् के नियमों में विश्वास, अपने कार्य में विश्वास और उस कार्य को पूरा करने के लिए अपनी शक्ति में विश्वास और इस विश्वास को ही अपने जीवन के क्रियाकलापों का आधार बनाओ। इस आधार पर खड़े होगे तब गिरोगे नहीं अर्थात् सफलता ही-प्राप्त करोगे। सभी परिस्थितियों में अपनी अन्तरात्मा की आवाज का अनुसरण करो, अन्तरात्मा के प्रति सदा सच्चे रहो, आन्तरिक ज्ञान पर विश्वास करो तथा अन्तरात्मा की आवाज का अनुसरण करो, जो जीवन में हमारा सर्वोत्तम पथ-प्रदर्शक है, निर्भय होकर और शान्त हृदय से अपने उद्देश्य की प्राप्ति में लगो, इस विश्वास के साथ कि भविष्य तुम्हें प्रत्येक विचार और चेष्टा की आवश्यकता को प्रदान करेगा, यह जानते हुए कि संसार के नियम कभी असफल नहीं होते और इस प्रकार तुम्हें तुम्हारे अच्छे या बुरे कार्य का फल अवश्य प्राप्त होगा, यही जीता-जागता विश्वास है। ऐसे विश्वास की शक्ति से अनिश्चितता के गहरे सागर विभाजित हो जाते हैं, कठिनाई का प्रत्येक पहाड़ चकनाचूर हो जाता है और विश्वास । करने वाली आत्मा बिना हानि के आगे बढ़ती रहती है। अतः हे पाठक! ऐसे निर्भय विश्वास को प्राप्त करने के लिए जो सभी प्रकार की अमूल्य वस्तुओं से भी सर्वोपरि है, संघर्ष करो, क्योंकि यही आनन्द, सफलता, शान्ति, शक्ति तथा प्रत्येक उस वस्तु की कुंजी है जो जीवन को महान् और कष्टों से अच्छा बनाती है। ऐसे विश्वास का निर्माण करो, तब तुम एक स्थायी तथा दृढ़ नींव बनाओगे और उसमें सामग्री भी दृढ़ लगाओगे और वह ढाँचा जो तुम खड़ा करोगे, टूटेगा नहीं, क्योंकि यह उन सभी सांसारिक वस्तुओं, भौतिक सुखों तथा सम्पदाओं से महान् होगा जिनका अन्त धूल-मिट्टी है। चाहे तुम्हें दु:ख की गहराई में धकेल दिया जाए या आनन्द की ऊँचाइयों तक उठा दिया जाए, सदा इस विश्वास पर अपनी पकड़ मजबूत रखो, सदा इसे शरण लेने की चट्टान के समान समझो और इसके अमर और अडिग आधार पर अपने पैरों को जमाकर रखो।
 
यदि ऐसा विश्वास अपने में प्राप्त कर लोगे तब तुम्हें ऐसी आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होगी जो काँच के खिलौनों के समान उन समस्त बुरी शक्तियों को चकनाचूर कर देगी जो तुम्हारे सामने आएँगी और तुम ऐसी सफलता प्राप्त करोगे जिनके विषय में सांसारिक उपलब्धियों को प्राप्त करने में संघर्षरत व्यक्ति कभी जान भी नहीं पाएगा और न वह उनके विषय में सोच पाएगा।
 
(5) If you will become ……………… utterly insignificant.
 
यदि तुम ऐसा विश्वास प्राप्त कर लोगे तब तुम्हें अपने भविष्य की सफलता या असफलता पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं होगी और सफलता तुम्हें निश्चित प्राप्त होगी। तुम्हें फल के विषय में चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि तुम यह जानते हुए कि उचित विचार और सही प्रयत्नों से निश्चित रूप से सही फल मिलेगा तुम आनन्दपूर्वक और शान्ति से काम करोगे। तुम्हारी सफलता, तुम्हारी असफलता, तुम्हारा प्रभाव, तुम्हारा पूरा जीवन जो तुम्हारे साथ है, तुम्हारे विचारों के प्रबल झुकाव के लिए तुम्हारे भाग्य के निर्णायक भाग हैं। जीवित, शुद्ध और आनन्ददायक विचार पैदा करो, तुम्हारे हाथों में परम आनन्द आएगा और तुम्हारी मेज पर शान्ति का कपड़ा फैल जाएगा अर्थात् तुम्हारा जीवन शान्ति से भरपूर होगा। घृणाजनक, अशुद्ध और दु:खदायी विचार पैदा करो, तुम्हारे ऊपर विपदाएँ बरस पड़ेगीं और भय तथा अशान्ति के कारण तुम आरामदायक गहरी नींद का आनन्द नहीं ले सकोगे। तुम अपने भाग्य के स्वतन्त्र निर्माता हो, चाहे भाग्य कुछ भी हो। प्रत्येक पल तुम अपने अन्दर से ऐसे प्रभाव भेज रहे हो जो तुम्हारे जीवन को या तो बना देंगे या नष्ट कर देंगे। अपने हृदय को विशाल, प्रिय और नि:स्वार्थी बनाओ, तब तुम्हारा प्रभाव और सफलता महान् और स्थायी होगी, भले ही तुम थोड़ा धन कमाओ। इसी को अपने स्वयं के स्वार्थ की संकुचित सीमाओं में बाँध दो यद्यपि तुम लखपति भी बन जाओ तब भी तुम्हारा प्रभाव और सफलता, अन्त में पूर्ण रूप से महत्त्वहीन होगी।
 
 
(6) Cultivate, then, ……………. physical excesses.
 
यह शुद्ध और नि:स्वार्थ भावना पैदा करो और इसे शुद्धता, विश्वास तथा एक उद्देश्य से इसे मिलाओ और तब तुम अपनी आत्मा में से ऐसे तत्त्व विकसित करोगे जो भरपूर स्वास्थ्य और चिरस्थायी सफलता से ही भरे हुए नहीं होंगे, अपितु महानती और शक्ति से भी भरपूर होंगे। तुम्हारा कार्य चाहे कुछ भी हो, अपने पूरे मस्तिष्क को इस पर केन्द्रित कर दो और इसमें अपनी पूरी शक्ति लगा दो जिसके तुम योग्य हो। छोटे-छोटे कार्यों को दोषरहित ढंग से पूरा करना निश्चित रूप से बड़े कार्यों की ओर अग्रसर करता है। इस प्रकार तुम देखोगे कि तुम लगातार चढ़ते रहने से ऊपर पहुँचोगे और कभी भी गिरोगे नहीं। और इसी बात में सच्ची शक्ति का रहस्य निहित है। लगातार अभ्यास के द्वारा यह सीखो कि अपने संसाधनों का ठीक प्रकार से प्रबन्ध कैसे करोगे और किसी भी पल किसी दिये हुए बिन्दु पर उसे कैसे केन्द्रित करोगे। मूर्ख व्यक्ति अपनी सारी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को निरर्थक बातों में, मूर्खतापूर्ण व्यर्थ की गपशप में, स्वार्थपूर्ण वाद-विवाद में या हानिकारक शारीरिक क्रियाओं में जैसे अधिक खाने और अधिक पीने में, जो स्वास्थ्य को नष्ट करती हैं, गॅवाते हैं।
 
(7) If you would. ………………. calm and unmoved.
 
यदि तुम नियन्त्रित करने वाली शक्ति प्राप्त करना चाहते हो, तब तुम्हें मानसिक सन्तुलन तथा मानसिक शान्ति पैदा करनी चाहिए। तुम्हें अकेले खड़े होने के भी योग्य होना चाहिए। दृढ़ता के साथ सभी शक्ति जुड़ी हुई है। पर्वत, बड़ी-बड़ी चट्टानें, तूफानों का मुकाबला करने वाला ओक का वृक्ष, सभी हमें शक्ति के विषय में बताते हैं, क्योंकि उनमें एकान्त, महानता तथा दृढ़ता है जबकि उड़ने वाला रेत, झुक जाने वाली पेड़ की शाखा और लहलहाती हुई घास सभी हमें कमजोरी के विषय में बताते हैं, क्योंकि वे उस समय गतिमान तथा दृढ़ नहीं होते जब उन्हें उनके साथियों से अलग कर दिया जाता है। वह व्यक्ति शक्तिशाली होता है जो उस समय भी शान्त और अडिग रहता है जब उसके सभी साथी किसी भावना या उत्तेजना से प्रभावित हो जाते हैं।
 
(8) He only is fitted ……………. valuable energy.
 
वही व्यक्ति आदेश देने और नियन्त्रण करने में योग्य होता है जो स्वयं को आदेश देने और नियन्त्रण करने में सफल हो गया है। भावुक, भयभीत, मूर्ख और तुच्छ व्यक्तियों को संगति हूँढ़नी चाहिए, अन्यथा सहायता के अभाव में वे गिर पड़ेंगे, किन्तु शान्त, निर्भय, विचारशील और गम्भीर व्यक्तियों को यदि जंगल, रेगिस्तान या पर्वत की चोटी के एकान्त में भी रहना पड़े तब भी उनकी शक्ति में और वृद्धि होगी तथा वे और अधिक सफलतापूर्वक दुष्प्रभाव डालने वाली भावनाओं और उत्तेजनाओं पर नियन्त्रण कर सकेंगे जो मानव जाति को घेर लेते हैं। उत्तेजना शक्ति नहीं होती है, यह तो शक्ति का दुरुपयोग तथा बरबादी होती है। उत्तेजना एक भयंकर तूफान के समान होती है जो अचल चट्टान से बहुत तेजी से टकराता है, जबकि शक्ति स्वयं चट्टान के समान होती है जो सभी परिस्थितियों में शान्त और अडिग रहती है। यदि तुम्हारे पास यह शक्ति नहीं है तब इसे अभ्यास से प्राप्त कर सकते हो और शक्ति का आरम्भ बुद्धिमानी के आरम्भ के समान होता है। ऐसी उद्देश्यहीन तुच्छ बातों पर तुम्हें काबू पाना आरम्भ कर देना चाहिए जिनके तुम जान-बूझकर शिकार रहे हो। जोर-जोर की अनियन्त्रित हँसी, व्यर्थ की मूर्खतापूर्ण बातें, केवल दूसरों का हँसाने के लिए हँसी-मजाक करना, इन सभी बातों को एक ओर रख देना चाहिए, क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण ऊर्जा की बरबादी है।
 
 
(9) Above all, be of ……………. secret of power.
 
Manoj Kumar Nagar
 
Special Educator
 
Rehabilitation Professionals
 
सभी बातों से ऊपर, एक लक्ष्य बनाओ, उद्देश्य को उचित और लाभदायक रखो और दृढ़ता के साथ स्वयं को इसमें समर्पित कर दो। कोई भी बात तुम्हें इससे अलग न कर सके। याद रखो कि “दोहरे मस्तिष्क वाला व्यक्ति अपनी सभी बातों से अस्थिर होता है।” सीखने के लिए उत्सुक बनो, किन्तु माँगने के लिए धीमे। अपने कार्य का पूरा ज्ञान प्राप्त करो और इसे अपना बना लो, और जब तुम अपने आन्तरिक मार्गदर्शक का अर्थात् अन्तरात्मा का अनुसरण करोगे जो कभी भूल नहीं करती, तब तुम प्रत्येक कार्य पर विजय प्राप्त करते हुए आगे बढ़ोगे और धीरे-धीरे सम्मान के शिखर तक पहुँच जाओगे और तुम्हारा सदैव व्यापक रहने वाला दृष्टिकोण तुम्हें जीवन की आवश्यक सुन्दरता और उद्देश्य को प्रकट करेगा। यदि स्वयं को पवित्र बना लोगे तब तुम्हें स्वास्थ्य प्राप्त होगा, विश्वास को सुरक्षित रखोगे, तब तुम्हें सफलता प्राप्त होगी और
 
आत्म-नियन्त्रण रखोगे तब तुम्हें शक्ति प्राप्त होगी और जो कुछ भी तुम करोगे उसमें फलो-फूलोंगे तथा तुम प्रकृति के नियम के अनुरूप होगे और सार्वभौम जीवन तथा शाश्वत भलाई के लिए कार्य करोगे। और जो भी स्वास्थ्य तुम प्राप्त करोगे वह तुम्हारे पास रहेगा, जो सफलता तुम प्राप्त करोगे वह मानवीय आकलन से परे होगी और कभी समाप्त नहीं होगी और जो प्रभाव तथा शक्ति तुम प्रयोग करोगे वह युगों तक बढ़ती रहेगी, क्योंकि यह उस अपरिवर्तनीय सिद्धान्त का भाग होगी जो पूरे संसार को आश्रये देता है। तब शुद्ध हृदय और भली प्रकार से नियन्त्रित मस्तिष्क ही स्वास्थ्य का रहस्य है। अटल विश्वास और बुद्धिमानी से निर्देशित उद्देश्य सफलता का रहस्य है और इच्छाओं पर दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ नियन्त्रण करना शक्ति का रहस्य है।
 
मनोज कुमार नागर
 
==समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा ==